KNEWS DESK- कार्तिक मास का पूरा महीना व्रतों और त्योहारों से भरा होता है। दिवाली के बाद अब बारी है गोवर्धन पूजा की, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। तभी से यह पर्व प्रकृति और भगवान दोनों की आराधना का प्रतीक बन गया।

गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 21 अक्टूबर की शाम 5:54 बजे से शुरू होकर 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त
प्रातःकालीन मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से 8:48 बजे तक (कुल अवधि – 2 घंटे 16 मिनट)
द्वितीय मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक। इन दोनों मुहूर्तों में से किसी भी समय श्रद्धापूर्वक पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
गोवर्धन पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर को सजाएं।
- गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक स्वरूप बनाएं। उसके साथ गाय, बछड़े और श्रीकृष्ण की आकृति भी बनाएं।
- गायों को मोरपंख, फूल और रंगों से सजाएं। उनके सींगों पर तेल या गेरू लगाएं।
- गोवर्धन महाराज की पूजा करें। पर्वत की नाभि स्थान पर एक दीपक रखें, जिसमें दही, दूध, शहद, बताशे और गंगाजल मिलाएं।
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, दही और गंगाजल से स्नान कराएं। चंदन, फूल, अक्षत और तुलसी दल चढ़ाएं।
- पूजा के बाद सात परिक्रमा करें, हाथ में कलश लेकर जल की धारा प्रवाहित करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें।
गोवर्धन पूजा का यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वही हमारी जीवनदायिनी है।