KNEWS DESK- गणेश चतुर्थी का त्योहार देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दौरान भक्त भगवान गणेश की पूजा आराधना करते हैं। इस दौरान पूरे उत्साह और जोश से गणपति बप्पा मोरिया नाम के जयकारे भी लगाते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि ‘गणपति बप्पा मोरया’ में क्या है “मोरया” का मतलब? चलिए जल्दी से आपको बताते हैं-
ऐसे हुई गणेशोत्सव की शुरुआत
गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई है और इसे लोकमान्य तिलक ने सबसे पहले शुरु किया। महाराष्ट्र के बाद यह उत्सव धीरे-धीरे देशभर में मनाया जाने लगा। महाराष्ट्र में पिता बप्पा कहा जाता है। भक्तों ने गणपति को पिता के रूप मे माना और बप्पा कहकर भक्ति करने लगे। इस तरह भगवान गणेश ‘गणपति बप्पा’ कहलाएं। लेकिन गणपति बप्पा के ‘मोरया’ कहलाने की कहानी बेहद रोचक है।
‘गणपति बप्पा मोरया’ में क्या है “मोरया” का मतलब?
कहा जाता है कि मोरया गोसावी भगवान गणेश के महान भक्त थे। यही कारण है कि उनके नाम पर बना मोरया गोसावी समाधि मंदिर आज लोगों के बीच आस्था का केंद्र है। पुणे से करीब 18 किलोमीटर दूर चिंचवाड़ में स्थित इस मंदिर की स्थापना स्वयं मोरया गोसावी ने की थी। इस मंदिर से जुड़ी कहानी बेहद रोचक है। मोरया गोसावी का जन्म 1375 ईं में हुआ था। मोरया बचपन से ही गणेश जी के भक्त थे। मोरया गोसावी बचपन से ही हर साल गणेश चतुर्थी के दिन चिंचवाड़ से पैदल चलकर 95 किलोमीटर दूर मयूरेश्वर मंदिर भगवान गणेश के दर्शन के लिए जाते थे। ये सिलसिला 117 सालों तक चलता रहा। लेकिन इसके बाद वृद्धावस्था के कारण मोरया गोसावी पैदल गणपति के मंदिर जाने में सक्षम नहीं थे। तब एक दिन गणेश जी उनके सपने में आए और कहा कल जब तुम स्नान करके कुंड से निकलोगे तो मुझे अपने समक्ष पाओगे। भक्त मोरया का सपना सच हुआ। जब मोरया गोसावी स्नान करके निकले तो उनके समक्ष गणेश जी की ठीक वैसी ही प्रतिमा थी जैसा कि उन्होंने सपने में देखा था। मोरिया ने चिंचवाड़ में उस मूर्ति की स्थापना कर दी। धीरे-धीरे इस मंदिर की लोकप्रियता बढ़ती गई और आज दूर-दूर से लोग चिंचवाड़ स्थित इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
इसलिए लगता है ‘गणपति बप्पा मोरया’ का नारा
इस मंदिर में लोग केवल गणपति के दर्शन के लिए ही नहीं बल्कि उनके महान भक्त मोरया गोसावी के दर्शन के लिए भी पहुंचने लगे और उनका भी आशीर्वाद लेने लगे। इस तरह से भक्तों के लि गणपति और मोरया एक हो गए। तब से ही गणपति के साथ उनके भक्त का नाम भी जोड़ा जाता है। गणेश जी के जयकारे में लोग गणपति बप्पा मोरिया कहते हैं।