भारत के प्रसिद्ध मंदिर जहां सूर्य ग्रहण के दौरान भी होती है पूजा और दर्शन, जानिए नाम

KNEWS DESK – हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को बड़ा दोष माना गया है|ग्रहण के समय देश के सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं|आज 14 अक्टूबर 2023 को साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण लगने जा रहा है| सूर्य ग्रहण के दौरान सभी मंदिरों को दौरान बंद कर दिया जायेगा | लेकिन कुछ ऐसे भी तीर्थ स्थान हैं, जहां पर भक्तों के लिए दरवाजे ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं| आपको इन मंदिरों के बारे में बताते हैं|

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 

आज साल दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है| खास बात यह कि आज के दिन सर्वपितृ अमावस्या और शनि अमावस्या का भी संयोग बन रहा है| हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को एक बड़ा दोष माना गया है, जिसके कारण 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है और इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा नहीं होती है| ऐसे में देश के तमाम मंदिर के पट बंद हो जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जिनके भीतर ग्रहण के दौरान भी पूजा-पाठ जारी रहता है और उनके पट भक्तों के लिए खुले रहते हैं|

कालकाजी मंदिर, दिल्ली

सूर्य ग्रहण के दिन जहां देश की राजधानी दिल्ली के सभी मंदिर के पट बंद रहते हैं, वहीं कालकाजी मंदिर के द्वार उनके भक्तों के लिए खुले रहते हैं| जिस शक्तिपीठ पर कभी पांडवों को महाभारत युद्ध की जीत का आशीर्वाद मिला था वह सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान खुला रहता है और इस दौरान भी इस पावन धाम में भक्तों के द्वारा देवी की साधना-आराधना जारी रहती है| हिंदू मान्यता के अनुसार चूंकि माता कालका कालचक्र की स्वामिनी हैं और इन्हीं के जरिए सभी ग्रह नक्षत्र ऊर्जा प्राप्त कर गतिमान होते हैं, ऐसे में इनके पावन धाम पर ग्रहण का कोई असर नहीं होता है| हिंदू मान्यता के अनुसार मां कालका के धाम में आने वाले व्यक्ति पर किसी भी बुरी बला या दोष का असर नहीं होता है|

कल्पेश्वर तीर्थ, उत्तराखंड

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान जहां उत्तराखंड में केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे सभी पावन धाम सूतक लगते ही पूजा-पाठ के लिए बंद कर दिये जाते हैं, वहीं उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित कल्पेश्वर तीर्थ अकेला एक ऐसा मंदिर है जो कि भक्तों के लिए खुला रहता है| पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वही पावन स्थान है जहां पर कभी देवों के देव महादेव ने अपनी जटाओं से मां गंगा के वेग को कम किया था और इसी स्थान में समुद्र मंथन के दौरान आपस में बैठक हुई थी| मान्यता है कि इस मंदिर में सूर्य ग्रहण का कोई असर नहीं होता है और इसके कपाट ग्रहण के दौरान भी खुले रहते हैं|

महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन

सूर्य ग्रहण के दौरान भले मध्य प्रदेश के सारे मंदिरों में भक्तों के प्रवेश की मनाही होती है और उसके दरवाजे बंद कर दिये जाते हों लेकिन उज्जैन स्थित महाकाल का द्वार उनके लिए खुला रहता है| काल के भी काल कहलाने वाले महाकाल के बारे में मान्यता है कि उन पर किसी भी प्रकार के दोष या ग्रहण का असर नहीं होता है| ग्रहण वाले दिन भी उनकी पूजा परंपरा के अनुसार होती है| सिर्फ ग्रहण के दौरान शिवलिंग को छूने की मनाही होती है और आप उस दौरान उनका सिर्फ दर्शन ही कर सकते हैं|

 

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