KNEWS DESK- दिवाली, जिसे ‘दीपोत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे शुभ त्योहार है। यह दिन सकारात्मक ऊर्जा, नए आरंभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है ताकि जीवन में धन, सुख, शांति और ऐश्वर्य का वास बना रहे।

हिंदू परंपरा के अनुसार, दिवाली की पूजा विशेष रूप से ‘निशिता काल’ में करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। लेकिन आखिर यह निशिता काल क्या है और इसकी पूजा इतनी विशेष क्यों मानी जाती है? आइए जानते हैं।
निशिता काल क्या होता है?
निशिता काल को रात का मध्यकाल कहा जाता है। यानी वह समय जब दिन और रात का संतुलन अपने चरम पर होता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय आकाशीय ऊर्जा सबसे शांत और शक्तिशाली होती है। तांत्रिक ग्रंथों में निशिता काल को आध्यात्मिक साधना और अनुष्ठानों के लिए सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान किए गए मंत्र जाप, ध्यान या पूजा का प्रभाव अन्य समयों की तुलना में अधिक तीव्र और स्थायी माना जाता है। निशिता काल को धन, ज्ञान और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति का सर्वोत्तम समय भी कहा गया है। इस दौरान की गई पूजा व्यक्ति के भौतिक और आध्यात्मिक जीवन दोनों में संतुलन लाने में सहायक होती है।
दिवाली 2025 में निशिता काल मुहूर्त
इस वर्ष दिवाली 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए निशिता काल का विशेष योग बन रहा है।
निशिता काल का शुभ समय:
रात्रि 11:46 बजे से 12:36 बजे तक (21 अक्टूबर की रात से 22 अक्टूबर की सुबह तक) इस अवधि में की गई लक्ष्मी-गणेश पूजा से घर में धन, समृद्धि और शांति का वास होता है। कहा जाता है कि इस समय की गई पूजा साल भर के लिए सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
निशिता काल में पूजा के लाभ
- मां लक्ष्मी की कृपा से घर में धन और वैभव की वृद्धि होती है।
- भगवान गणेश विघ्नों को दूर कर जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
- मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है।
- यह काल साधना, ध्यान और जप के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
दिवाली की रात केवल दीपों की नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और सकारात्मक ऊर्जा की रात होती है। निशिता काल में की गई पूजा से न केवल धन और सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में संतुलन, शांति और आत्मबल भी बढ़ता है। इस बार दिवाली पर निशिता काल में लक्ष्मी-गणेश की आराधना अवश्य करें और अपने जीवन को रोशनी, समृद्धि और शुभता से भर दें।