KNEWS DESK- कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और पुनः सृष्टि का संचालन आरंभ करते हैं। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य सभी मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध समाप्त हो जाता है। यही कारण है कि इस दिन से ही शादी-विवाह की शहनाइयां गूंजने लगती हैं।

देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर की सुबह 7:31 बजे तक रहेगी। इसलिए इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी।
देवउठनी एकादशी का ब्रह्म मुहूर्त
इस पवित्र दिन का ब्रह्म मुहूर्त 1 नवंबर को सुबह 4:31 बजे से 5:13 बजे तक रहेगा। लगभग 42 मिनट तक चलने वाला यह समय अत्यंत शुभ और दिव्य माना गया है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में भगवान विष्णु का ध्यान, मंत्र जाप या दान करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में करें ये शुभ उपाय
भगवान विष्णु का मंत्र जाप करें
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। इस समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ और ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
कर दर्शन मंत्र का जाप करें
जागने के तुरंत बाद अपनी हथेलियों को देखें और यह श्लोक बोलें —“ॐ कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः, प्रभाते करदर्शनम्॥” ऐसा करने से दिन शुभ होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
दान करें और पुण्य कमाएं
देवउठनी एकादशी के ब्रह्म मुहूर्त में दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस समय आप हल्दी, केले, पीले वस्त्र, चने की दाल, सुराही या धन का दान गरीबों और जरूरतमंदों को कर सकते हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक दान करता है, उसके घर में कभी धन और सौभाग्य की कमी नहीं होती।
इस दिन का महत्व
देवउठनी एकादशी के दिन व्रत, पूजा और दान से न केवल विष्णु-लक्ष्मी की कृपा मिलती है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा और शुभता का आगमन होता है। यह दिन सृष्टि में नई शुरुआत का प्रतीक है। जब देवता जागते हैं और समस्त संसार में मंगल कार्यों की ध्वनि गूंज उठती है। इस बार 1 नवंबर की भोर में जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे, तो उनके साथ पूरे ब्रह्मांड में जागेगा शुभ समय और नई संभावनाओं का प्रकाश।