KNEWS DESK- छठ महापर्व पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ देशभर में मनाया जा रहा है। 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है और आज, 26 अक्टूबर को छठ पूजा का दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है। खरना का दिन छठ व्रत का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। इस दिन व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को प्रसाद बनाकर छठी मैया और सूर्य देव को अर्पित करते हैं।

खरना का अर्थ और महत्व
‘खरना’ शब्द का अर्थ है शुद्धता इस दिन व्रती तन, मन और आत्मा की पवित्रता के साथ व्रत का पालन करते हैं। माना जाता है कि खरना के व्रत से घर का वातावरण शुद्ध होता है और व्यक्ति के मन में पवित्रता का भाव जागृत होता है। इस दिन बनाई जाने वाली हर वस्तु और प्रसाद में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
ऐसे करें खरना की पूजा
- सुबह की तैयारी: व्रती सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें और स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
- संध्या काल की पूजा: शाम के समय दोबारा स्नान कर आम की लकड़ियों से नया चूल्हा जलाएं।
- प्रसाद बनाना: खरना के लिए खास प्रसाद — गुड़-चावल की खीर, रोटी और फलों का भोग — तैयार किया जाता है।
- भोग अर्पण: सूर्य देव और छठी मैया को प्रसाद अर्पित करने के बाद व्रती परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं।
- पूजा के बाद ध्यान: प्रसाद ग्रहण करने से पहले कुछ समय तक छठी मैया का ध्यान और आराधना की जाती है।
इन गलतियों से बचें
- पूजा सामग्री या प्रसाद को गंदे हाथों से न छुएं। नहाने या हाथ धोने के बाद ही इन्हें स्पर्श करें।
- गंदे बर्तन या जगह पर प्रसाद न बनाएं। पूरी जगह स्वच्छ और पवित्र होनी चाहिए।
- प्रसाद में सेंधा नमक का ही उपयोग करें, साधारण नमक न डालें।
- छठी मैया और सूर्य देव को भोग अर्पित करने से पहले भोजन न करें।
- व्रत के दौरान नकारात्मक बातें या क्रोध से दूर रहें, मन को शांत और भक्ति में रखें।
खरना के बाद अगले दिन अर्घ्य देने की तैयारी शुरू होती है। श्रद्धालु व्रती सूर्यास्त और सूर्योदय के समय नदी या जलाशय के किनारे जाकर अर्घ्य अर्पित करते हैं। यही क्रम छठ पर्व का मुख्य आकर्षण होता है, जो चार दिनों की भक्ति और पवित्रता का प्रतीक है।