Chhath Puja 2024: आस्था का महापर्व छठ का तीसरा दिन कल, आइए जानते हैं संध्याकाल अर्घ्य की विधि, इसका महत्व और पूजा के लिए जरूरी सामग्री

KNEWS DESK – छठ पूजा का तीसरा दिन विशेष रूप से संतान सुख, परिवार के कल्याण और सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन होता है। इस दिन श्रद्धालु संध्याकाल अर्घ्य देते हैं, जो सूर्य देव की उपासना का एक महत्वपूर्ण भाग है। छठ पूजा का यह दिन विशेष रूप से सूर्य देव के आशीर्वाद के लिए मनाया जाता है, ताकि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे। आइए जानते हैं कि इस दिन संध्याकाल अर्घ्य की पूजा कैसे की जाती है, और पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्रियाँ आवश्यक होती हैं।

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संध्याकाल अर्घ्य का समय

पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर 2024 को संध्याकाल अर्घ्य का समय शाम 5:48 बजे होगा। इस दिन सूर्यास्त का समय 5:48 बजे है, और श्रद्धालु उसी समय डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। हर शहर में सूर्यास्त का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए स्थानीय समय के अनुसार अर्घ्य देना सही होता है।

इस दिन, व्रति कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है, जिसमें व्रति संतान सुख, परिवार के कल्याण और भगवान सूर्य के आशीर्वाद के लिए पूजा करते हैं।

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सूर्य देव को अर्घ्य देने की विधि

  1. प्रारंभिक तैयारी:छठ पूजा के तीसरे दिन प्रातः जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी न हो, तो घर में ही शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान के बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से स्वच्छ करें और एक चौकी पर सूर्य देव की तस्वीर या प्रतिमा रखें।
  2. पूजा सामग्रियाँ रखें: घी का दीपक जलाएं और पूजा की थाली में फल, फूल, गन्ना, ठेकुआ (छठ पर्व का पारंपरिक पकवान), और अन्य प्रसाद सामग्री रखें।
  3. अर्घ्य देने का स्थान: पूजा थाली को लेकर संध्याकाल अर्घ्य देने के लिए घाट या खुले स्थान पर जाएं। वहां डूबते सूर्य की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं।
  4. मंत्रों का जाप: सूर्य देव को अर्घ्य देने के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें।
    • “ॐ सूर्याय नमः”
    • “ॐ श्री सूर्याय नमः”
  5. अर्घ्य अर्पित करें: अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करें और उनसे अपने परिवार के सुख, समृद्धि और संतान सुख की कामना करें।

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अर्घ्य अर्पित करने के लिए आवश्यक सामग्री 

  1. तांबे का लोटा – सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे का लोटा उत्तम माना जाता है।
  2. गंगाजल – शुद्धता के प्रतीक के रूप में गंगाजल का उपयोग करें।
  3. दूध और दही – सूर्य देव को दूध और दही अर्पित करें।
  4. शहद – सूर्य देव की पूजा में शहद भी अर्पित किया जाता है।
  5. गन्ना – छठ पूजा में गन्ना महत्वपूर्ण पूजा सामग्री है।
  6. ठेकुआ – यह खासतौर पर छठ पूजा का पारंपरिक पकवान है।
  7. नारियल – नारियल का भी पूजा में महत्व है, इसे सूर्य देव को अर्पित करें।
  8. दीपक और घी – दीपक में घी डालकर उसे जलाएं।
  9. अगरबत्ती – पूजन स्थल की शुद्धता बनाए रखने के लिए अगरबत्ती का प्रयोग करें।
  10. रोली और चंदन – इनका उपयोग तिलक और पूजा के अन्य कार्यों में किया जाता है।
  11. कनेर के फूल – कनेर के फूल को सूर्य देव को अर्पित करें।
  12. सूप (बांस की बनी टोकरी) – इसमें फल और पकवान रखें।

 

छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है। सूर्य देव को जीवन का आधार माना जाता है, क्योंकि सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है। वे जीवन, ऊर्जा, शक्ति, और संजीवनी के प्रतीक हैं। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करके उनसे अपने परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य, और संतान सुख की कामना करना है। सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने से उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।