साल में तीन बार मनाया जाता है बिहू का त्योहार, जानिए क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता

KNEWS DESK – पंजाबियों के लिए जैसे लोहड़ी का त्योहार होता है उसी तरह बिहू का त्योहार असम के सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है| बिहू का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है, ये त्योहार सबसे पहले जनवरी के महीने में आता है, जिसे भोगाली बिहू या माघ बिहू भी कहते हैं| उसके बाद बिहू का पर्व अप्रैल के मध्य में आता है, जो रोंगाली बिहू के नाम से जाना जाता है| इसके अलावा तीसरी बार ये पर्व अक्टूबर में आता है, जो काती बिहू के नाम से भी प्रचलित है|

Bihu Festival 2023: असम में आज मनाया जा रहा है बोहाग बिहू, बहुत ही अनोखी है  इस पर्व से जुड़ी परंपराएं - Bihu Festival 2023 Assam New year Bihu festival  celebration tradition and significance

बिहू से होती है नए साल की शुरुआत 

असम में नव वर्ष की असली शुरुआत इसी पर्व से मानी जाती है| इस त्योहार को असम के लोग पूरे सात दिनों तक मनाते हैं| इस पर्व में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें भगवान को अर्पित किया जाता है| 2024 में 15 जनवरी को माघ बिहू का त्योहार मनाया जाएगा|

धार्मिक मान्यता

बिहू के पर्व को असम के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है| असम में इस दिन के साथ ही फसल की कटाई और शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है| जनवरी में भोगाली बिहू के पर्व को मकर संक्रांति के आस पास ही मनाया जाता है| बिहू के मौके पर किसान ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके यहां भविष्य में फसलों की अच्छी पैदावार हो| इसके बाद पूरे एक हफ्ते तक इस त्योहार का सेलिब्रेशन होता है| तिल, नारियल, चावल, दूध का इस्तेमाल करके इस पर्व के खास मौके पर अलग -अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं|

गाय की पूजा को माना जाता है विशेष 

बिहू के पर्व में गाय की पूजा को विशेष माना जाता है, किसान अपनी गायों को नदी में ले जाकर उन्हें कच्ची हल्दी से नहलाते हैं| इस विशेष दिन की शुरुआत में गाय को नहलाने और उन्हें हरी सब्जियां जैसे लौकी, बैंगन खिलाने का रिवाज है| इसके पीछे असम के लोगों की धार्मिक मान्यता है कि अगर घर के पशु यानी गाय की सेहत सही रहेगी तो परिवार में भी सुख शांति का माहौल बना रहता है|

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