KNEWS DESK- दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते में प्यार, अपनत्व और स्नेह को और गहरा करने वाला पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करती है और उसे विशेष स्नेह और सम्मान देती है। भाई भी अपनी ओर से बहन को आशीर्वाद और उपहार देकर उनके प्रति प्रेम और सुरक्षा का वचन देते हैं।

इस साल, पंचांग के अनुसार, भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
शुभ समय तिलक के लिए
अभिजीत काल: सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक
अमृत काल: शाम 6:57 बजे से रात 8:45 बजे तक बहुत से लोग इस समय में ही अपने भाई का तिलक करते हैं और पर्व को शुभ मुहूर्त में संपन्न करते हैं।
यम द्वितीया का महत्व
भाई दूज को ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है। इसका संबंध यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा है। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन के घर उनके स्नेह और आदर का सम्मान करने गए थे। यमुनाजी ने उन्हें तिलक, आरती और भोजन कराकर अपने प्रेम और सेवा का भाव दिखाया।
इस पर यमराज ने वचन दिया कि- जो भाई अपनी बहन को इस दिन बुलाकर तिलक और भोजन कराएगा, उसकी बहन हमेशा सुरक्षित, सुखी और समृद्ध रहेगी। इसलिए भाई दूज पर भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और सुरक्षा का भाव विशेष महत्व रखता है।
बहनों की भूमिका और पर्व की परंपरा
भाई दूज पर बहनें अपने भाई का स्वागत करती हैं, उनके माथे पर तिलक करती हैं और स्वास्थ्य, लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। इसके साथ ही, वह अपने हाथों से भोजन कराकर स्नेह और सेवा का भाव प्रकट करती हैं। भाई भी इस अवसर पर बहन को उपहार और आशीर्वाद देते हैं, जिससे उनके रिश्ते में विश्वास और प्यार बढ़ता है।
रक्षाबंधन और भाई दूज में फर्क
रक्षाबंधन: भाई की सुरक्षा और जिम्मेदारी पर जोर।
भाई दूज: बहन के स्नेह और सेवा की भावना पर जोर।
दोनों पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मानते हैं, लेकिन भाई दूज में बहन का प्रेम और सेवा के भाव को विशेष रूप से उजागर किया जाता है। इस भाई दूज, 2025 में, परिवार के साथ मिलकर यम द्वितीया की परंपरा और भाई-बहन के प्यार को यादगार बनाएं।