अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, विघ्नहर्ता गणेश को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें ये व्रत कथा, दूर होंगी सभी परेशानियां!

KNEWS DESK- हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाने वाली अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस वर्ष यह पावन दिन 7 दिसंबर को पड़ रहा है। मान्यता है कि आज के दिन विधि-विधान से गणपति बप्पा की उपासना करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की विशेष कृपा पाना है। व्रतधारी दिन भर संयम रखकर शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है और इससे पूजन का फल कई गुना बढ़ जाता है।

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय पर लंकापति रावण अपनी शक्ति के अहंकार में स्वर्ग तक को जीत चुका था। इसी दौरान उसे वानरराज बालि की अद्भुत शक्ति के बारे में पता चला और वह उनसे मुकाबला करने निकल पड़ा। संध्या के समय रावण ने पीछे से जाकर बालि पर आक्रमण किया, लेकिन बालि उससे कई गुना अधिक शक्तिशाली थे। उन्होंने रावण को पकड़कर अपनी बगल में दबा लिया और किष्किंधा ले आए।

इसके बाद बालि ने रावण को अपने पुत्र अंगद के खेलने के लिए सौंप दिया। अंगद ने रावण को खिलौना समझकर रस्सी से बांध लिया और खूब घुमाया, जिससे रावण को अत्यधिक कष्ट हुआ। पीड़ा से व्याकुल होकर रावण ने अपने पिता ऋषि पुलस्त्य का स्मरण किया। जब पुलस्त्य जी को रावण की दशा का पता चला, तो उन्हें अत्यंत दुख हुआ और वे उसके सामने प्रकट हुए।

पुलस्त्य ऋषि ने रावण से उसकी स्थिति का कारण पूछा। रावण बोला कि वह अपमान और दुख से भर चुका है और उनसे मुक्ति का मार्ग चाहता है। तब ऋषि ने उसे समझाया कि सत्ता और शक्ति का घमंड किसी का भी विनाश कर देता है। साथ ही उन्होंने रावण को सलाह दी कि वह पौष कृष्ण चतुर्थी को भगवान गणेश का उपवास करे। उन्होंने यह भी बताया कि इंद्रदेव ने भी अपने संकटों से मुक्ति पाने के लिए यह व्रत किया था।

पिता की आज्ञा का पालन करते हुए रावण ने अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया। व्रत की पूर्णता के साथ ही उसे बालि के बंधन से मुक्ति मिल गई और उसके कष्ट समाप्त हो गए।

व्रत का महत्व

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से—

  • बाधाएँ और संकट दूर होते हैं।
  • मन की कामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
  • गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

धार्मिक परंपराओं के अनुसार, सच्चे मन से की गई पूजा का फल अवश्य मिलता है और विघ्नहर्ता गणपति बप्पा भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।

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