गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के समय पास हो ये चार पवित्र वस्तुएँ, तो सीधे उसकी आत्मा को मिल जाता है मोक्ष

KNEWS DESK- गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन पक्षीराज गरुड़ के संवाद पर आधारित है, जिसमें जीवन, मृत्यु, पाप-पुण्य, आत्मा की यात्रा और मोक्ष जैसे गूढ़ विषयों का विस्तार से वर्णन मिलता है। विशेष रूप से मृत्यु के समय आत्मा किस प्रकार शरीर का त्याग करती है और उसे शांत, बाधारहित यात्रा कैसे प्राप्त होती है। इसका उल्लेख गरुड़ पुराण में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

भगवान विष्णु ने गरुड़ को बताया है कि मृत्यु के क्षण में यदि मनुष्य के पास चार विशेष और पवित्र वस्तुएँ हों, तो उसकी आत्मा सरलता से, बिना किसी बाधा के दिव्य मार्ग पर अग्रसर होती है। ये चार वस्तुएँ न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानी जाती हैं, बल्कि व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं।

आइए जानते हैं इन चार पवित्र वस्तुओं का महत्व—

तुलसी

तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में माता का दर्जा दिया गया है। इसमें माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि मृत्यु के निकट व्यक्ति को तुलसी के पौधे के पास लिटाना चाहिए और उसके मुख में तुलसी का पत्ता या मंजरी अवश्य रखनी चाहिए। मान्यता है कि तुलसी के पत्ते के साथ प्राण त्यागने वाला व्यक्ति सीधे स्वर्गलोक जाता है और उसे दिव्य सुख प्राप्त होता है। तुलसी आत्मा को शुद्ध करती है और मोक्ष मार्ग को सरल बनाती है।

कुश का आसन

कुश घास को ऋषियों-मुनियों ने अत्यंत पवित्र माना है। यह शुद्धता, तप और स्थिरता का प्रतीक है। कुश के आसन पर बैठकर किए गए कर्म और साधना कई गुना फल देती है। गरुड़ पुराण में वर्णन है कि मृत्यु के समय यदि व्यक्ति को कुश के आसन पर सुलाया जाए, तो उसकी आत्मा बैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान करती है। यह आसन आत्मा को अशुद्धियों से मुक्त करता है और दिव्य लोक की यात्रा को सहज बनाता है।

गंगाजल

गंगा जल को हिंदू धर्म में अमृत के समान माना जाता है। इसका स्पर्श और सेवन आत्मा को पवित्र और निर्मल बनाता है। मृत्यु के समय व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालना अत्यंत शुभ माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार, गंगाजल आत्मा के पापों को धो देता है और उसे उच्च लोकों की प्राप्ति होती है। यह आत्मा की यात्रा को शांत, तेज और कल्याणकारी बनाता है।

तिल

तिल को धार्मिक अनुष्ठानों में अत्यंत पवित्र माना जाता है। अंतिम समय में मरने वाले के हाथ से तिल का दान करवाना शुभ होता है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मरने वाले के पास तिल रखना या उसका दान कराना आत्मा को पापों से मुक्ति दिलाता है। इससे उसके सांसारिक बंधन कम होते हैं और वह शांतिपूर्वक अपनी दिव्य यात्रा पूरी करती है।

गरुड़ पुराण के ये उपदेश मृत्यु को एक अंत नहीं, बल्कि आत्मा की नई यात्रा की शुरुआत बताते हैं। तुलसी, कुश, गंगाजल और तिल जैसी पवित्र वस्तुएँ आत्मा को शुद्ध, निर्भय और बाधारहित मार्ग प्रदान करती हैं। ये न केवल धार्मिक परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी जीवन-मृत्यु के सत्य को समझने में मदद करती हैं।

मृत्यु के समय इन पवित्र वस्तुओं का होना मनुष्य के लिए कल्याणकारी माना गया है, क्योंकि ये आत्मा को प्रकाश, शांति और मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने में सहायक होती हैं।

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