उत्तर प्रदेश की अनोखी शादी परंपरा: जहां दूल्हे का स्वागत टमाटरों से होता है! जानें क्या है इस अनोखी परंपरा की वजह?

KNEWS DESK- भारत की शादियां अपने रीति-रिवाजों, रंगों और उत्साह के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं। हर राज्य, हर समुदाय और हर घर की अपनी-अपनी परंपराएं होती हैं। कुछ अत्यंत पारंपरिक, तो कुछ बिल्कुल अनोखी। ऐसी ही एक दिलचस्प और हैरान कर देने वाली परंपरा उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास बसे छोटे से कस्बे सरसौल और उसके आसपास के जनजातीय इलाकों में देखने को मिलती है, जहां बारातियों का स्वागत फूलों से नहीं, बल्कि कच्चे टमाटरों से किया जाता है!

फूलों की जगह उड़ते हैं टमाटर

शादियों में हमने अक्सर दूल्हे के स्वागत के लिए फूलों की बारिश, गुलाब जल या इत्र के छिड़काव की रस्में देखी हैं। लेकिन सरसौल में जब बारात दुल्हन के घर पहुंचती है, तो वहां का नज़ारा कुछ और ही होता है। लड़की पक्ष के लोग उत्साह और मस्ती के साथ बारातियों पर कच्चे टमाटर फेंककर उनका स्वागत करते हैं। पहली बार यह परंपरा देखने वाला हर व्यक्ति चौंक जाता है, और कई बार तो हंसते-हंसते लोटपोट हो जाता है। शुरुआत में बाराती बचने की कोशिश करते हैं, मगर जल्द ही वे भी इस मजेदार रस्म का हिस्सा बन जाते हैं।

यह दृश्य किसी फिल्म के हास्य भरे सीन जैसा प्रतीत होता है। चारों तरफ हंसी-ठिठोली, टमाटरों का उछलना और मौके पर मौजूद लोगों की खिलखिलाहट इस रस्म को और भी खास बना देती है।

आखिर क्यों फेंके जाते हैं टमाटर?

यह परंपरा जितनी अनोखी है, इसके पीछे की मान्यता उतनी ही रोचक है। स्थानीय लोगों के अनुसार:

विचित्र शुरुआत शुभ होती है: यहां यह विश्वास है कि शादी की शुरुआत अगर कुछ अजीब या अपशगुन जैसी लगने वाली चीज़ से हो, तो नवविवाहिता जोड़ी के जीवन में सौभाग्य और खुशियां बढ़ती हैं।

बुरी नज़र से बचाव: कुछ बुजुर्गों का मानना है कि कच्चे टमाटर फेंकना ‘बुरी नज़र’ को उतारने का एक तरीका है, ताकि जोड़े पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

रिश्ते को मजबूत बनाने की मान्यता: यह भी मान्यता है कि अगर रिश्ता शुरू में किसी हल्की-फुल्की ‘टकराव भरी’ रस्म से गुजरे, तो आगे चलकर दंपति का बंधन और अधिक मजबूत और प्रेमपूर्ण बन जाता है।

स्थानीयों के लिए गर्व की बात

दिलचस्प बात यह है कि यहां के लोग इस परंपरा को अजीब या अपमानजनक नहीं मानते, बल्कि इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा और शादी की खुशी को दोगुना करने वाली रस्म के रूप में देखते हैं। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और आज भी उतने ही उत्साह के साथ निभाई जाती है।

एक अनोखी परंपरा, जो बनाती है शादी यादगार

जहां बाकी जगहों पर फूलों और इत्र से दूल्हे का स्वागत होता है, वहीं सरसौल की यह टमाटर वाली रस्म अपनी मौलिकता के कारण लोगों के दिल में अलग छाप छोड़ जाती है। जो भी यहां शादी में शामिल होता है, वह इस अनोखे अनुभव को जिंदगीभर नहीं भूलता।

शादी के इस अद्भुत और हंसमुख स्वागत से साबित होता है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता कितनी रंगीन और रोचक है।जहां हर रस्म अपने आप में एक कहानी समेटे होती है।

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