उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा टनल के ब्रेक थ्रू कार्यक्रम में प्रतिभाग कर बाबा बौखनाथ मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा में भाग लिया। सिलक्यारा टनल चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना है। लगभग 1384 करोड़ लागत की डबल लेन की इस टनल परियोजना की लंबाई 4.531 मीटर है। सुरंग निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 25 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और समय की बचत होगी। इस परियोजना के पूर्ण होने से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा टनल ब्रेकथ्रू के अवसर पर परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर न केवल कुशल इंजीनियरिंग की सफलता का प्रतीक है बल्कि आस्था और समर्पण की शक्ति का जीवंत उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि सिलक्यारा टनल अभियान दुनिया का सबसे जटिल और लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन था। इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की। यह घटना तकनीकी और मानवीय संकल्प की वास्तविक परीक्षा थी, सभी ने एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने समस्त रेस्क्यू टीम, रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सहयोगी संस्थाओं का भी इस अभियान को सफल बनाने में आभार व्यक्त किया। विपक्ष का आरोप है कि टनल हादसे के दोषियों को बीजेपी सरकार ने बचाने का काम किया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिल्क्यारा टनल के ब्रेक थ्रू कार्यक्रम के अवसर पर बौखनाग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए देहरादून स्थित अपने घर से भेंट और पूजा सामग्री लेकर सिल्क्यारा पहुंचे। सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं सिल्क्यारा अभियान के दौरान कैंप कर रेस्क्यू अभियान की निरंतर निगरानी और निर्देशन किया था। रेस्क्यू अभियान की सफलता के लिए मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग से मन्नत मांगते हुए मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग से प्रदेश की खुशहाली और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि जब सुरंग के मुख पर बाबा बौखनाग को विराजमान किया तभी फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सका। उस समय उन्होंने बाबा बौखनाग का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने से संकल्प भी पूरा हुआ और श्रद्धालु भी बाबा बौखनाग का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे। वही विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि धामी सरकार दो बातों के लिये अपनी पीठ थपथपा रही है. एक सिल्क्यारा टनल व कर्णप्रयाग रेल लाइन जबकि यह प्रोजेक्ट यूपीए सरकार के समय शुरू हो गया था। कांग्रेस का आरोप है के सिलक्यारा टनल हादसे की दोषी कम्पनी पर अभी तक कार्यवाही क्यों नही हुई।
आपको बता दे टनल निर्माण के दौरान 12 नवम्बर 2023 को अचानक हुए भूस्खलन में 41 श्रमिक इस सुरंग में फँस गए थे। उस समय देशभर से लोग इन श्रमिकों की कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। उस अँधेरी टनल में जहाँ उम्मीद की किरणें भी धूमिल हो रही थी, बाबा बौखनाग ने पहाड़ों के रक्षक के रूप में शक्ति और विश्वास का संचार किया। उस कठिन समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतर्गत सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। इसी घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने बाबा बौखनाग मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, जिसे अब साकार रूप दिया गया है।
उत्तरकाशी की रहस्यमयी वादियों में कहते हैं, कई सारी दैवीय शक्तियों का वास है. पहाड़ों में स्थानीय लोग देव-देवी के इन रूपों के प्रति इतनी श्रद्धा रखते हैं, कि उनकी पूजा-ध्यान के बिना ना तो कोई काम शुरू करते हैं और ना ही किसी सफर की शुरुआत. 40 मजदूरों को निकालने के लिए 17 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला, इसके पीछे की कहानी जितनी वैज्ञानिक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है. इसके पीछे बाबा बौखनाग का ऐसा चमत्कार माना जाता है,भले ही सिल्क्यारा टनल का काम लगभग पूरा हो गया हो लेकिन हादसे के दोषियों को लेकर सवाल अभी भी बरक़रार है.भविष्य में इस तहर के हादसे न हो तो सरकार को भी ऐसी कंपनियों पर कड़ा ऎक्शन लेना होगा ताकि ओर कंपनियों के लिए नजीर साबित हो. शायद फिर सिल्क्यारा टनल को लेकर इतने सवाल आम जनता के बीच नहीं होते।