उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट
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उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन करते हुए उत्तराखंड जमींदारी संशोधन विधेयक 2025 पारित किया है। इस संशोधन का उद्देश्य भूमि सुधार, कृषि विकास, राजस्व प्रशासन में सुधार और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देना है। संशोधन के तहत कई प्रावधान लागू किए गए हैं, जिनमें से कुछ पूरे राज्य में लागू होंगे, जबकि कुछ केवल उधम सिंह नगर और हरिद्वार जनपदों को छोड़कर अन्य जनपदों में लागू होंगे। इसके बाद से लेकर अब तक भू माफिया लगातार प्रदेश में सरकारी जमीनों से लेकर प्राइवेट लैंड पर अपना कब्जा जमा रहे हैं हाल ही में देहरादून के नाला पानी क्षेत्र में जंगलों पर भूमाफियाओं ने 40 बीघा संरक्षित वन क्षेत्र में तार-बाड़ लगाकर गेट फॉरेस्ट विभाग की जमीन पर गढ़ दिया है बेखौफ अपनी दबंगई दिखाते हुए कब्जा कर लिया है जिसके चलते खलंगा के चार हजार से अधिक साल के पेड़ों पर संकट गहरा गया है मजे की बात यह है कि वन विभाग को इस गतिविधि की अब तक कोई भी जानकारी नहीं है वही इस पूरे मामले पर वन प्रेमी सहित मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति की ओर से इसका कड़ा विरोध किया गया जिसके चलते पार्टी के कहीं पदाधिकारी ने आज खलंगा के जंगलो में पहुंचकर भू माफिया द्वारा लगाए गए तार बाड़ और गेट को उखाड़ फेंका और चेतावनी दी कि अगर सरकार इन वन संपदा को नहीं बचा सकती तो कम से कम इस देवभूमि में भू माफियाओं से जमीनों को कब्जे से मुक्त किया जाए अन्यथा इसके दूर ग्रामी परिणाम सामने निकल कर आएंगे जिसको लेकर अब विपक्ष को भी सरकार को घेरने का मुद्दा मिल गया है .
प्रदेश में कड़े भू कानून में संशोधन होने के बावजूद भी अब भूमाफियाओं के हौसले और भी ज्यादा बुलंद देखने को मिल रहे हैं आपको बता दें देहरादून के नालापानी क्षेत्र खलंगा के जंगलो पर हल्दू आम के निकट 40 बीघा सरक्षित वन क्षेत्र पर हरियाणा के एक व्यक्ति ने तार बार कर गेट लगा दिया है घने जंगल में कैंप बनाने की योजना है यदि ऐसा होता है तो लगभग चार हजार साल के पेड़ों का अस्तित्व आने वाले समय में खत्म हो जाएगा बताया जा रहा है हरियाणा के रहने वाले अनिल शर्मा ने यह वन भूमि ऋषिकेश निवासी अशोक अग्रवाल से लीज का ली थी 40 बीघा वन क्षेत्र में कैंप बनाने की योजना बनाई जा रही है सूत्र यह भी बता रहे हैं की रिलीज हुए रजिस्ट्री के कागज उनके पास मौजूद ही नहीं है अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह भूमि माफिया किस तरीके से वन संप्रदाय को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं साथ ही वन भूमि को अपने कब्जे में ले रहे हैं जिसको लेकर अब देवभूमि में भू माफियाओं पर नकेल कसना और इस वन संप्रदाय को बचाना आम जनमानस के साथ-साथ कहीं संगठनों ने इस मुहिम को आगे तक बढ़ाने का निर्णय लिया है और यही वजह है कि आज इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक संगठन भी इन दलों के साथ सरकार को घेरने में लग गए हैं.वही अब इस मामले के तूल पकड़ते ही वनविभाग के अधिकारी घटना स्थल पर पहुंच जांच का आश्वासन दे रहे है
वही विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए सशक्त भू कानून को लेकर धामी सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाएं है जिसको हमला करते हुए भू माफिया और सरकार की सोची समझी साजिश क़रार किया है इससे पहले भी यूकेडी का मानना है की इसका विरोध उनके माध्यम से किया गया लेकिन सरकार इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हुई है अब यही सरकार प्रदेश का माहौल ख़राब करने की नै योजना बना रही है। वही भाजपा इस मामले पर जांच के साथ कार्यवाही करने का आश्वाशन दे रही है
अब तक प्रदेश में सशक्त भू-कानून की मांग को देखते धामी सरकार करीब तीन साल से काम कर रही थी। राज्य में जमीनों को भू-माफियाओं से बचाने, प्रयोजन से इतर उनका दुरुपयोग रोकने की जरूरत को समझते हुए कानून में बदलाव किया गया है। इस बदलाव को लाने से पहले समक्ष भौगोलिक, निवेश, रोजगार को लेकर भी चुनौतियां सरकार के सामने थीं। पिछले वर्षों में देखा गया कि विभिन्न उपक्रम स्थापित करने, स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर जमीन खरीदकर उसे अलग प्रयोजनों में इस्तेमाल किया जा रहा था। इस संशोधन से न केवल उन पर रोक लगेगी, बल्कि असल निवेशकों व भू-माफिया के बीच के अंतर को पहचानने में भी कामयाबी मिलेगी।इस सशक्त भू-कानून का यही उद्देश्य था लेकिन अभी तक इसका जमीनी स्तर पर कोई बड़ा असर देखने लो अभी तक नहीं मिल पाया है भू माफियो को सरकार के इस कानून का को डर नहीं और सरकार पर भी इन भू माफियो पर नकेल कसने का रवया देखने को नहीं मिल पा रहा है।