पहले जीत का सवाल,अब आरक्षण पर बवाल !

बीते कुछ दिन पूर्व उत्तराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्सुकताएं तेज़ थी, सभी पक्ष विपक्ष अपने दावेदारों के जीत को लेकर प्रयत्नशील थें, वही पंचायत चुनाव संपन्न होते ही  31 जुलाई को मतगणना के बाद शासन ने शुक्रवार को जिला पंचायत के अध्यक्ष पदो पर आरक्षण को निर्धारण कर अंतिम अधिसूचना भी जारी कर दी है, साथ ही छह जिलों की पंचायत की डोर महिलाये संभालेंगी, यानी के अध्यक्ष के पांच पद सामान्य महिला व एक पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित किया गया है, सामान्य रूप से कहे तो चार पद अनारक्षित, एक पद अनुसूचित जाति व एक पद अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित किये गए हैं, जिसको लेकर सभी राजनितिक दल व दावेदार भी सक्रिय हो गये है, पंचायती राज विभाग ने पहली बार पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए गठित एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशें लागू की है जिसको लेकर वहां अध्यक्ष पद पर तैयारी कर रहे कई प्रत्याशियों की भावनाओं को भी झटका लगा है, वही इस फैसले को लेकर राजनितिक सरगर्मियां भी तेज़ सी हो गयी है, विपक्ष इस फैसले से नाराज़ होता नज़र आ रहा है, वही कई विपक्षी दलों ने अध्यक्षों पद पर जारी आरक्षण को लेकर सवाल भी उठाये है,जिस पर अब तरह तरह की दलीले दी जा रही है, सचिव पंचयाती राज चंद्रेश की ओर से आपत्तियों को दर्ज कराने के लिए दो दिन का समय दिया गया है उनके मुताबिक दो और चार अगस्त को सुबह साढ़े नौ बजे से शाम छह बजे तक आपत्तिया दर्ज कराई जा सकती है, देखने वाली बात यह होगी की कितने लोग इस फैसले का स्वागत करते है और कितने ना मंजूर,

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा कांग्रेस पर बढ़त बनाने में कामयाब रही है। जहां भाजपा समर्थित 122 प्रत्याशियों ने जीत का स्वाद चखा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के 80 प्रत्याशी जीत में कामयाब हुए हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए अब दोनों पार्टियों की नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पटकी है. चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय जीत कर आए हैं इनकी संख्या 152 के करीब है. फिलहाल दोनों ही दल इन पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय की भूमिका अहम मानी जाती है. वही एक तरफ भाजपा 216 जिला पंचायत सदस्य होने का दावा कर रही है. तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपने जीत के जश्न में 160 सीटों को लेकर खुशी बन रही है.

उत्तराखंड सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 को लेकर अब बड़ा कदम उठा लिया है. हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी हो चुकी है. शासन द्वारा यह आरक्षण सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार तय किया गया है. 

आपको बता दे सिलसिलेवार 12 जिलों में आरक्षण की स्थिति इस प्रकार है.

अल्मोड़ा -महिला

बागेश्वर -महिला अनुसूचित जाति

चमोली -अनारक्षित 

देहरादून- महिला 

नैनीताल- अनारक्षित 

पौड़ी गढ़वाल -महिला 

पिथौरागढ़- अनुसूचित जाति 

रुद्रप्रयाग -महिला 

टिहरी गढ़वाल- महिला 

उधम सिंह नगर -पिछड़ा वर्ग 

उत्तरकाशी –  अनारक्षित                                 

शासन ने आरक्षण को लेकर साफ कर दिया है कि यह आरक्षण पूरी पारदर्शिता और नियमों के तहत तय किया गया है। इस प्रस्ताव के खिलाफ अब कोई भी आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी इस आरक्षण के आधार पर जल्द ही जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं आरक्षण को लेकर सरकार समर्थन में है तो दूसरी तरफ कांग्रेस आरक्षण को लेकर गंभीर आरोप लगाती नजर आ रही है. विपक्ष का मानना है की सरकार की मंशा साफ नहीं है इस प्रक्रिया को नतीजे आने से पहले जारी किया जाता रहा है. जो सरकार ने इस बार नहीं किया अब कांग्रेस जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज कराएगी।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. इस बार के चुनावी नतीजे काफी दिलचस्प हैं. क्योंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने-अपने पार्टी दफ्तरों में जश्न मना रहे हैं. वहीं निर्दलीय भी चुनावी नतीजों से गदगद हैं. हालांकि इस चुनाव के रिजल्ट ने कांग्रेस पार्टी के भीतर एक नई जान फूंक दी है.अब चुनाव संपन्न होने के साथ ही आचार संहिता भी समाप्त हो गई है लेकिन जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण को लेकर बवाल बढ़ता नजर आ रहा है अब देखना होगा क्या विपक्षी दल  जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की लड़ाई को लेकर कितनी दूर चलते है। 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट