उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि की संस्कृति व गरिमा को ठेस पहुचाने वालो के खिलाफ जुलाई से प्रारम्भ हुआ ऑपरेशन कालनेमी निरंतर गति पर है. प्रदेश मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार “ऑपरेशन कालनेमी” को लेकर पुलिस प्रसाशन निरंतर कार्यरत है, कई प्रकार के फर्जी साधु संत जो धार्मिक आस्था की आड़ में ठगी और अपराध करते है. व अपनी पहचान छुपाकर किसी भी अपराध को अंजाम देने की कोशिश कर रहे है. उन सभी पर लगातार प्रशासन शिकंजा कस रहा है, उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जो ढोंगियों पर कार्यवाही करने में पीछे नहीं हट रहा है. अब तक प्रदेश प्रशासन द्वारा लगभग 1282 कालनेमियों पर कार्यवाही की गयी है, सब से अधिक सत्यापन की बात करे तो हरिद्वार जिले में ही 2704 सत्यपन किए गए है. 922 सत्यापन देहरादून से व पूरे प्रदेश से 5503 सत्यापन किये गये है, वही बीते शुक्रवार को भी एक और कालनेमी को दून पुलिस द्वारा देहरादून के नेहरू कॉलोनी क्षेत्र से पकड़ा गया, हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपी का असली नाम मामून हसन है. और वह सचिन चौहान नाम बता अपनी पहचान छुपा अपनी पत्नी के साथ रह रहा था, मूल रूप से आरोपी बांग्लादेशी है, और एक क्लब में बाउंसर का कार्य कर रहा था, वही जांच के तहत बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी के मामले में अवैध धर्मांतरण का प्रकरण भी सामने आया है, अभियुक्त द्वारा बांग्लादेश में रीना चौहान को फरजाना अख्तर बनाकर शादी की गयी थी, प्रदेश के उधमसिंह नगर के बाजपुर में भी दो दिन पहले साधु का भेष धारण किये हुए नौ संदिग्ध लोगो को पकड़ा गया, लगातार देवभूमि की गरिमा के साथ छेड़छाड करने वालो पर जहाँ एक ओर सरकार व प्रशासन निरंतर कार्यवाही कर रहा है. विपक्ष सरकार पर निशाना साधते हुए नज़र आ रहा है, विपक्ष का कहना है कि ऑपरेशन कालनेमी से पहले रह रहे ऐसे संदिग्ध लोगो का प्रदेश में इतने समय से रहना सरकार का फेलिअर है,
बांग्लादेशी घुसपैठिए मामून की गिरफ्तारी के मामले में अवैध धर्मांतरण का मामला भी सामने आया है. हिंदू महिला का धर्मांतरण किए जाने के संबंध में पुलिस को अहम सुराग मिले हैं. हिंदू महिला के मुस्लिम नाम से बने बांग्लादेशी दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं. आरोपी ने बांग्लादेश में अपनी हिंदू प्रेमिका को फरजाना अख्तर बनाकर उससे निकाह किया था. उसके बाद निकाह कर अवैध रूप से भारत आया था.जांच के दौरान पुलिस को पूरे प्रकरण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज प्राप्त हुए हैं. इन तथ्यों से सह अभियुक्ता रीना चौहान के धर्म बदलकर बनाए गए फर्जी बांग्लादेशी प्रमाण पत्र पुलिस के हाथ लगे. इनमें आरोपी ने रीना चौहान को फरजाना अख्तर बनाकर उससे बांग्लादेश में निकाह किया था. साथ ही पूरे मामले में धर्मांतरण का प्रकरण सामने आने पर पुलिस द्वारा हर पहलू से अभियोग की विस्तृत जांच की जा रही है.उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह प्रमाणित किया है कि जब नेतृत्व संकल्पित हो, तो अस्मिता पर उठे हर हाथ को रोका जा सकता है। धर्म की रक्षा, अस्मिता की सुरक्षा, और प्रदेश की आत्मा उत्तराखंडीयत की पहचान बनाए रखना ही धामी सरकार का मूल मंत्र है।
प्रदेश में भगवा चोले और धार्मिक पहचान की आड़ में लोगों को ठगी का शिकार बनने वाले और उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले तत्वों की तेजी से पहचान हो रही है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर चलाया गया “ऑपरेशन कालनेमि” एक ऐसा सशक्त अभियान है, जिसको भाजपा उद्देश्य उत्तराखंड की शांति, सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा करना मान रही है।वही विपक्षी दलों के साथ कांग्रेस ने ऑपरेशन कालनेमि को भी नाकाम बताते हुए कहा कि यदि बांग्लादेशी और रोहिंग्या जैसे घुसपैठिए राज्य में छिपे हैं तो यह खुफिया एजेंसियों और सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ मुद्दों की राजनीति कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिख रहा।
गौरतलब है कि यूपी एटीएस ने इसी साल जुलाई के महीने में धर्मांतरण गिरोह चलाने के आरोप में छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया था. बाद में अवैध लेनदेन के आरोप में ईडी ने उसे अपनी गिरफ्त में लिया था. ED ने इस मामले में कुल 15 जगहों पर छापेमारी की थी. इन छापेमारियों के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्यों को जब्त किया गया, जो अवैध वित्तीय लेनदेन से जुड़ी बताई गई थीं. छांगुर बाबा के अवैध धर्मांतरण गैंग को लेकर उत्तराखंड में भी छापेमारी हुई थी. यहां से कुछ आरोपियों को पूछताछ के लिए यूपी एटीएस ले गई थी.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड सीमांत प्रदेश होने के साथ ही सनातन की पुण्य भूमि भी है. इसलिए यहां डेमोग्राफी में बदलाव की किसी भी कोशिश को सख्ती से रोका जाए.पुलिस इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखे. धर्मांतरण कराने वाले तत्वों के जाल में फंसे लोगों को उचित परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए. धामी ने कहा कि ऑपरेशन कालनेमि भी ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने में सफल रहा है. इस मुहिम को आगे भी चलाए जाने की जरूरत है, इसलिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर, इसकी निगरानी के लिए एसआईटी का भी गठन किया जाए.