पहाड़ की जवानी, जलता जंगल, सूखता पानी

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, लोकसभा चुनाव के दंगल को जीतने के लिए देशभर में प्रचार प्रसार का दौर जारी है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की डिमांड लगातार बढ़ रही है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के पसंदीदा युवा नेताओँ की सूची में धामी शुमार है। सीएम धामी ने दिल्ली, यूपी, झारखंड समेत तमाम राज्यों में पार्टी के पक्ष में रोड शो और जनसभाओं को संबोधित किया। इस बीच उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के देशभर में हो रहे कार्यक्रमों पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री पार्टी के प्रचार प्रसार में व्यवस्त है और राज्य की जनसमस्याओं पर मुख्यमंत्री का ध्यान नहीं है। वहीं विपक्ष ने राज्य में बढ़ती वनाग्नि की घटनाओँ के साथ ही बिजली, पानी की किल्लत के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने पेयजल कटौती के विरोध में जल संस्थान का घेराव कर सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। साथ ही जल्द समस्या का समाधान ना होने पर उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है। वहीं विपक्ष के इस हंगामें के बीच राज्य के जंगलों में फैली आग रुकने का नाम नहीं ले रही है…आलम ये है कि 24 घंटे के भीतर प्रदेशभर में 64 घंटनाएं सामने आ चुकी है। वहीं इस आग की चपेट में आने से सोमेश्वर में दो मजदूरों की भी मौत हुई है। बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई है। बैठक में जंगलों में लगी आग की रोकथाम, बिजली और पेयजल संकट को दूर करने पर चर्चा की गई है। सवाल ये है कि आखिर क्यों समय रहते सरकार ने पहले से तैयारी नहीं की.. 

 

देशभर में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रसार जोरों पर है। मई को लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण की वोटिंग होनी है। चुनाव की घड़ी नजदीक आते आते प्रचार और गति पकड़ रहा है। इस बीच भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बतौर स्टार प्रचारक जगह जगह प्रचार के लिए चुनावी मैदान में उतारा है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के पसंदीदा युवा नेताओँ की सूची में धामी शुमार है। सीएम धामी ने दिल्ली, यूपी, झारखंड समेत तमाम राज्यों में पार्टी के पक्ष में रोड शो और जनसभाओं को संबोधित किया। इस बीच उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के देशभर में हो रहे कार्यक्रमों पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री पार्टी के प्रचार प्रसार में व्यवस्त है और राज्य की जनसमस्याओं पर मुख्यमंत्री का ध्यान नहीं है।

 

 

आपको बता दें कि राज्य में लगातार वनाग्नि की घटनाएं बढ़ रही है। अबतक 700 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गए हैं। जंगलों में लगी आग वन संपदा को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मानव के लिए भी घातक बनती जा रही है। ऐसा ही कुछ सोमेश्वर में देखने को मिला जहां इस आग की चपेट में आने से दो मजदूरों की मौत हो गई। इस बीच कांग्रेस ने राज्य में बढ़ती वनाग्नि की घटनाओँ के साथ ही बिजली, पानी की किल्लत के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने पेयजल कटौती के विरोध में जल संस्थान का घेराव कर सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। वहीं इन तमाम मुद्दों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने उच्चाधिकारियों की हाईलेवल मीटिंग बुलाई है। बैठक में जंगलों में लगी आग की रोकथाम, बिजली और पेयजल संकट को दूर करने पर चर्चा की गई है।

 

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार के बीच राज्य में वनाग्नि और बिजली-पानी की समस्या के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है। हांलाकि भाजपा का दावा है कि मुख्यमंत्री लगातार जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार ने समय रहते वनाग्नि से बचाव, बिजली और पानी की किल्लत से निपटने के उपायों पर समय रहते कार्य नहीं किया। आखिर कब जंगलों का धधकना बंद होगा।

 

 

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