KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन अनिल सागर को उनके पद से हटा दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा योगी सरकार को फटकार लगाने के बाद यह कदम उठाया गया है। अदालत ने यमुना अथॉरिटी में कथित घोटालेबाजी को लेकर गंभीर टिप्पणियां की थीं और सरकार को एक्शन लेने के आदेश दिए थे। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो कोर्ट ने CBI जांच के आदेश देने की चेतावनी दी थी।
घोटाले और अनियमितताओं का आरोप
बता दें कि अनिल सागर पर आरोप है कि उन्होंने यमुना अथॉरिटी में कई प्रोजेक्ट्स को मनमाने तरीके से रद्द किया और कुछ प्रोजेक्ट्स को बिना किसी उचित कारण के मंजूरी दे दी। इसके अलावा, कुछ परियोजनाओं में उन्होंने अलग-अलग तरीके से फैसले किए, जिससे अनियमितताएं और घोटाले के आरोप सामने आए। अदालत ने कहा था कि अगली सुनवाई से पहले इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए।
सागर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एक ही तरह के तीन प्रोजेक्ट्स में तीन अलग-अलग फैसले लिए। इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी, जबकि कुछ को बिना किसी स्पष्ट कारण के रद्द कर दिया। इस प्रकार के फैसले सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं से मेल नहीं खाते थे, जिससे घोटाले की संभावना बढ़ गई।
कोर्ट के आदेश के बाद एक्शन
हाईकोर्ट ने 15 दिसंबर को कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की जानी चाहिए, और सोमवार को होने वाली अगली सुनवाई से पहले चेयरमैन पर कार्रवाई की जाए। इसी आदेश के तहत शनिवार को अनिल सागर को उनके पद से हटा दिया गया और उन्हें प्रतीक्षारत कर दिया गया। इस मामले की सुनवाई में गंभीर आरोपों की जांच जारी है, और अदालत ने चेतावनी दी है कि अगर यूपी सरकार ने इस घोटाले पर उचित कार्रवाई नहीं की, तो इसे सीबीआई के हवाले किया जाएगा।
अगली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को जस्टिस पंकज भाटिया के सामने होगी। अदालत ने सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने की उम्मीद जताई है। यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के तहत भूमि आवंटन में भी कई बार अनियमितताएं और घोटाले की आशंकाएं जताई जा चुकी हैं, और अब कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है।