राम मंदिर के झंडे पर छपे कोविदार पेड़ को क्यों माना गया है खास? जानें क्या है इस पेड़ का धार्मिक महत्व…

KNEWS DESK- अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। भव्य राम मंदिर के झंडे पर सूर्य और कोविदार के पेड़ के चिन्ह को अंकित किया गया है। श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए 100 झंडे मध्यप्रदेश के रीवा से भेजे आए हैं। इन्हें रीवा के हरदुआ गांव निवासी ललित मिश्रा ने तैयार किया है।

 झंडे पर सूर्य के चिन्ह को क्यों किया गया अंकित?

सूर्यवंश का प्रतीक सूर्य है इसलिए इस झंडे पर सूर्य के चिन्ह को अंकित किया गया है। श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए 100 झंडे मध्यप्रदेश के रीवा से भेजे आए हैं। इन सभी झंडों पर सूर्य के चिन्ह को अंकित किया गया है।

क्या है कोविदार पेड़ का धार्मिक महत्व?

कोविदार पेड़ अयोध्या का राज वृक्ष है। जैसे वर्तमान में भारत में बरगद राष्ट्रीय पेड़ कहा जाता है, वैसे ही कोविदार का पेड़ उस समय राज वृक्ष माना जाता था। कोविदार के पेड़ को कुछ जगहों पर कचनार का पेड़ भी कहते हैं लेकिन यह धारणा गलत है क्योंकि ये दोनों पेड़ अलग-अलग हैं।

कोविदार पेड़ की संख्या समय के साथ-साथ बहुत कम हो गई। धार्मिक दृष्टि से यह पेड़ बहुत महत्वपूर्ण हुआ करता था जिसका पुराणों में भी जिक्र देखने को मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि कश्यप ने इस पेड़ की रचना की थी। इस पेड़ का जिक्र हरिवंश पुराण में भी मिलता है जिसके मुताबिक, कोविदार वृक्ष अयोध्या के राजध्वज में अंकित होता था इसलिए ही इसे भव्य राम मंदिर के झंडे में चिन्हित किया गया है।

वाल्मीकि रामायण में इस झंडे का जिक्र महर्षि वाल्मीकि ने किया था। साथ ही यह पर्यायवरण के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। इस पेड़ में बहुत से औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। रामायण के एक कथन के अनुसार, जब भरत श्रीराम से अयोध्या वापस लौटने की प्रार्थना करने के लिए चित्रकूट गए थे, तब उनके रथ पर लगे ध्वज पर कोविदार पेड़ चिन्हित था। लक्ष्मण ने दूर से ही उस झंडे को देखकर अनुमान लगा लिया था कि यह अयोध्या की ही सेना है।

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