KNEWS DESK… WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को लेकर विवाद में अब एक नया मोड़ सामने देखने को मिल रहा है। जिसमें दो महिला पहलवानों के बीच ट्वीटर वाॅर छिड़ गया है। आन्दोलन की अगुवाई करने वाले चेहरों में से अक साक्षी मलिक एवं उनके पति सत्यव्रत ने एक वीडियो ट्वीट किया है। जिसमें उन्होंने आंदोलन को लेकर बड़ा दावा किया है। जिसमें उन्होंने पूरे आन्दोलन के पीछे भाजपा नेता बबीता फोगाट व सोनीपत की भाजपा जिलाध्यक्ष तीरथ राणा का हाथ बताया है।
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दरअसल आपको बता दें कि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन कुछ नया विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सांसद बृजभूषण सिंह के मामलें में अब दो महिला पहलवानों के बीच ट्वीटर वाॅर छिड़ गया है। महिला पहलवान साक्षी ने कहा कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने के लिए इन दोनों नेताओं ने ही कहा था और इन्हीं दोनों नेताओं ने दिल्ली में धरने की मंजूरी भी दिलवाई थी। इसके लिए जंतर-मंतर थाने से इजाजत ली गई थी। साथ ही इन्होंने कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के उकसाने की बात को निराधार बताया। वबीं दूसरी तरफ महिला पहलवान साक्षी की बहन बबीता ने दावे को लेकर ट्वीट करते हुए पलटवार करते हुए लिखा है कि मुझे कल अपनी छोटी बहन और उनके पतिदेव का वीडियो देखकर बड़ा दुख हुआ और हंसी भी आई। सबसे पहले तो मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि जो अनुमति का कागज छोटी बहन ने दिखाया है, उस पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर नहीं है और न ही मेरी सहमति का कोई प्रमाण है. दूर-दूर तक इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। जिसके बाद साक्षी ने ट्वीट किया है। जिसमें साक्षी ने कहा है कि वीडियो में हमने तीरथ राणा और बबीता फोगाट पर तंज कसा था कि वे कैसे अपने स्वार्थ के लिए पहलवानों का इस्तेमाल करना चाह रहे थे। जब पहलवानों पर विपदा पड़ी तो वे सरकार की गोद में जा बैठे। कहा कि हम मुसीबत में जरूर हैं लेकिन हास्यबोध इतना कमजोर नहीं हो जाना चाहिए कि ताकतवर को काटी चुटकी पर आप हंस भी न पाएं। साक्षी के इस बात पर बबीता ने ट्वीट करते हुए कहा कि एक कहावत है कि जिंदगी भर के लिए माथे पर कलंक की निशानी पड़ जाए। बात ऐसी ना कहो दोस्त कि कह के फिर छिपानी पड़ जाए। बबीता ने आगे कहा कि देश की जनता अब इन विपक्ष के चेहरों को पहचान चुकी है। जिनकी भावनाओं की आग में इन्होंने अपनी राजनीति का रोटी सेकने का काम किया है। उन महिला पहलवानों के विचारों के साथ राजनीतिक फायदे उठाएं हैं।