गैरसैंण| ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में होने वाले सत्र के दौरान रसोई की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूह को देने की बात हुई है। इसकी शुरुआत इसी बजट सत्र से ही की गई है। हालांकि इस सत्र में महिला समूहों की तरफ से मंडुवा, झंगोरा समेत पहाड़ी दालों से बनने वाले पकवान परोसे जाने वाले है। इसकी पहल विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण जी ने महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के लिए की थी। अन्य पकवान की सारी व्यवस्था निजी कैटरिंग के माध्यम से ही की जाने वाली है। गैरसैंण में सरकार हर साल में एक बार ही बजट सत्र आयोजित करती है। अभी तक सत्र के दौरान मंत्रियों, विधायकों, अधिकारियों, कर्मचारियों के भोजन की सारी व्यवस्था निजी कैटरिंग के माध्यम से की जाती और इस पर लाखों रुपये का खर्च होता है। भोजन बनाने के लिए राशन और भी हट तरह का अन्य सामान देहरादून से ही जाता है। सरकार का सारा फोकस महिला स्वयं सहायता समूह की आजीविका को बढ़ाने पर है। चमोली जिले में कई महिला समूहों के माध्यम से पहाड़ी पकवान तैयार किए जाते हैं। पहली बार विधानसभा में यह हुआ है की अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने सत्र के दौरान रसोई की जिम्मेदारी महिला समूहों को सौंपने की खुद पहल की है। 13 मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र में महिला समूहों को मंडुवा के आटे की रोटी, झंगोरे की खीर, काला भट्ट, तोर, गहत की दाल समेत अन्य पहाड़ी व्यंजन परोसे जाने वाले है। अभी तक महिला समूहों के पास इतने संसाधन नहीं है कि वे हर रोज 6 से 7 सौ लोगों के लिए पहले ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर तैयार कर सके लेकिन अब आने वाले सत्र के लिए महिला समूहों को इसके लिए तैयार किया जा रहा है।
हमारा प्रयास यह है कि समूहों के माध्यम से काम करने वाली सभी महिलाओं की आजीविका ज्यादा से ज्यादा बढ़ सके। बजट सत्र में महिला समूहों के माध्यम से भी पहाड़ी व्यंजन तैयार किए जाने वाले है। इससे जहां उत्तराखंड के मोटे अनाजों को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा और इसके साथ महिला समूहों की आजीविका भी बढ़ेगी। आने वाले समय में बजट सत्र के दौरान किचन का सारा जिम्मा महिला समूहों को दिया जाएगा। –ऋतु खंडूरी भूषण, स्पीकर