उत्तराखंड- उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के कारण एवं इसके प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यहा अक्सर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है और बात करें उत्तराखंड के घाटी क्षेत्र दून और इसके आसपास के क्षेत्रों जैसे मसूरी, ऋषिकेश, हरिद्वार यहां तो पर्यटक व श्रद्धालु सालभर आते रहते हैं लेकिन पर्यटकों के अधिक संख्या में आने से जहां राज्य में पर्यटन और धार्मिक स्थलों को बढ़ावा मिलता है वहीं यह बड़ी हुई संख्या अक्सर यहां के पारिस्थितिक तंत्र पर विपरीत प्रभाव भी डालती है। इसी को लेकर नैनीताल हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसके हाइकोर्ट से नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार से इस ओर ठोस कदम के साथ कोई योजना न बनाने को लेकर फटकार लगाई।
पर्यटन विकास योजना पर हुई लापरवाही
बीते दिन दून और इसके आसपास के क्षेत्रों में हो रहे अनियंत्रित पर्यटन को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर पर्यावरण और वन मंत्रालय की तरफ से वर्ष 1989 में दून घाटी अधिसूचना के अनुसार पर्यटन विकास योजना को बनाने के साथ ही केन्द्र से अनुमोदन को लेकर राज्य सरकार क्यों नाकाम रही। इसके साथ ही हाइकोर्ट ने दून घाटी और आसपास के क्षेत्र में अनियंत्रित पर्यटन को लेकर बिगड़ती पारिस्थितिकी को पर्यटन सचिव से जवाब मांगा है। सम्बन्धित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने पूछा कि घाटी में क्या पर्यटकों की एक अनियंत्रित संख्या पहुंच रही है साथ ही पूछा कि कितने होटल सरकार के पास है और कितने बनने हैं।