देहरादून, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही पार्टी की सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। दअरसल त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर हुए लाठीचार्ज की घटना को लेकर जनता से सार्वजनिक माफी मांगी है। त्रिवेंद्र ने कहा कि वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते लाठीचार्ज की घटना के लिए युवाओं से माफी मांगते हैं। यदि युवाओं से थोड़ी गलती हुई भी थी तो उसे अनदेखा किया जा सकता था। लेकिन लाठीचार्ज नहीं किया जाना चाहिए था…त्रिवेंद्र के इस बयान के बाद से राज्य की सियासत गर्मा गई… एक तरफ जहां बीजेपी इस बयान के बाद से बैकफुट पर है तो दूसरी ओर कांग्रेस त्रिवेंद्र को अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं पर की गई लाठीचार्ज की याद दिला रही है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या त्रिवेंद्र की माफी सिर्फ एक चुनावी माफी है या फिर धामी सरकार को ये कटघरे में खड़े करने की ये एक साजिश है
उत्तराखंड में पारदर्शी परीक्षा तंत्र और पेपर लीक घोटाले की सीबीआई जांच की मांग लेकर देहरादून गांधी पार्क के सामने धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं पर हुए पुलिस की लाठीचार्ज को लेकर अब तक कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के निशाने पर सीएम पुष्कर सिंह धामी थे। लेकिन अब सत्ताधारी दल बीजेपी के भीतर से ही बेरोजगारों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की जा रही है…पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुए युवाओं और उनके अभिभावकों से माफी मांगी है। त्रिवेंद्र ने कहा कि वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते लाठीचार्ज की घटना के लिए युवाओं से माफी मांगते हैं। यदि युवाओं से थोड़ी गलती हुई भी थी तो उसे अनदेखा किया जा सकता था। लेकिन लाठीचार्ज नहीं किया जाना चाहिए था
एक तरफ जहां त्रिवेंद्र धामी सरकार के राज में बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए माफी मांग रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष ने त्रिवेंद्र को अपने कार्यकाल को याद करने की सलाह दी है आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सरकार के राज में ग्रामीण घाट-नंदप्रयाग डेढ़ लेन सड़क चौड़ीकरण की मांग कर रहे थे इसी दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया था…वहीं कांग्रेस का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार के राज में पहली बार महिलाओं पर लाठीचार्ज किया गया उनपर आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही पानी की बोछारे की लेकिन त्रिवेंद्र का दिल तब नहीं पिघला और अबजब सत्तागई तो जनता की याद आ रही है. वहीं बीजेपी त्रिवेंद्र के बयान से बैकफुट पर है बीजेपी का कहना है कि लाठीचार्ज करनी तो नहीं चाहिए लेकिन परिस्थितियां ऐसा कराने पर मजबूर कर देती है जबकि वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि सत्ता का अहंकार ही जनता की पीड़ा को नहीं समझने देता
कुल मिलाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ही बयान से ना सिर्फ अपनी ही पार्टी की मुश्किलें बढ़ाई है बल्कि खुद को भी कटघरे में फिर से खड़ा कर दिया है। शायद त्रिवेंद्र अपने इस बयान से सरकार से लेकर संगठन तक को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहते हों लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जनता सभी राजनेताओं का हिसाब किताब रखती है। भले ही नेता अपने कालखंड के काले अध्याय को ना पढना चाहते हों लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है ऐसे ही नही कहा जाता त्रिवेंद्र जी