देहरादून। आज तक हम सभी ने डमी फोन सुना है डमी सीन सुना है पर क्या आपने डमी स्कूल सुने है। क्या आपने कभी सोचा है कि छात्रों को शिक्षा देने वाला स्कूल भी डमी हो सकता है।
जी हां राजधानी देहरादून मे डमी स्कूलो का चयन काफी बढ़ गया है। खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच तो इसका चलन बेहद तेजी से बढा है।
देहरादून में कई स्कूल तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को कोचिंग सेंटरो के साथ मिलकर इस सुविधा का लाभ दे रहे है। लेकिन इस तरह के सांस्थान पूरी तरह से अवैध है जिसका नुकसान अभ्यर्थियों को र्बोड परिक्षा मे हेा सकता है।
हाल ही मे एक ऐसे ही मामले मे संलिप्त होने के कारण सीबीएसई ने एक स्कूल की मान्यता को खत्म कर दिया था। क्योकि इस स्कूल ने छात्र-छात्राओ को केवल एडमिषन ही दिया था। विद्यार्थी ने इस स्कूल मे पढने मे आते थे और न ही स्कूल के पास पढाने की कोई व्यवस्था थी।
दसवी के बाद जिन अभ्यर्थियों को मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करनी होती है ऐसे अभ्यर्थी अपना ज्यादा से ज्यादा समय कोचिंग सेंटरो मे व्यतीत करना चाहते है लेकिन 11वी और 12वी मे पढने के कारण उनका पूरा दिन स्कूलो मे ही व्यतीत हो जाता है।
इसी समस्या को देखते हुए देहरादून के कई स्कूलों ने कोचिंग सेंटरो के साथ मिलकर डमी स्कूलो के साथ व्यवस्था शुरू की है। इस व्यवस्था के तहत छात्र को ग्यारहवीं मे एडमिशन तो दिया जाता है लेकिन वे रेगुलर स्कूल नही जाते है।
इसके बदले वे स्कूल से जुड़े कोचिंग सेंटर मे जा कर तैयारी करते है। कोचिंग के दौरान ही उन्हे 11वी और 12वी का स्कूल का कुछ सिलेबस भी करवाया जाता है। छात्र केवल परीक्षा देने ही स्कूल आते है।
सीबीएसई के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि डमी स्कूल कोचिंग सेटरो और स्कूलों की बनाई हुई व्यवस्था है। बोर्ड मे इससे संबंधित किसी भी नियम का प्रावधान नहीं है। नियम के अनुसार बच्चे को कम से कम 75 प्रतिशत स्कूल आना जरूरी हैं।
सूत्रों के अनुसार इस तरह की व्यवस्था देहरादून के अन्दर दस से ज्यादा कोचिंग सेंटर और स्कूल दे रहे हैं। बाकी कुछ संस्थानों ने टाइअप किया है ताकि बच्चों को डमी स्कूल की सुविधा कोचिंग के लिए दे सके। इसके लिए छात्रों से 35 से लेकर 20 हजार तक की फीस हर साल वसूली जाती है।