उत्तराखंड: आपदा पर सवाल, संसद में बवाल !

उत्तराखंड- देवभूमि उत्तराखंड में मानसून की भारी बारिश ने जगह जगह तबाही मचाई है। आलम ये है कि राज्य की 70 से ज्यादा सड़कें बंद है। वहीं प्रदेश में भारी बारिश से पैदा हो रहीं मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस दौरान प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भूस्खलन से मुसीबत और बढ़ रही है। एक ओर जहां चारधाम को जोड़ने वाले प्रमुख हाईवे जगह-जगह भूस्खलन के कारण बाधित है। तो वहीं टिहरी के एक गांव में भूस्खलन के बाद 35 परिवारों को घर छोड़ना पड़ा। जबकि रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ व तुंगनाथ में भूस्खलन और भू धंसाव से ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं। इस बीच केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर गौरीकुंड से आगे भीमबली में भारी भूस्खलन हुआ है। इस दौरान आए मलबे से मंदाकिनी नदी का प्रवाह बाधित हो गया। प्रशासन ने रुद्रप्रयाग तक नदी किनारे रहने वाले लोगों से अलर्ट रहने की अपील की है। इस बीच आपका का मुद्दा संसद में भी गूंजा है. लेकिन खास बात ये है कि इस गंभीर विषय पर चिंता उत्तराखंड से संसद पहुंचे भाजपा सांसदों ने नहीं बल्कि किसी अन्य राज्य की कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने जताई है. रंजीत रंजन ने संसद में प्रकृति और हिमालय के दोहन पर चिंता जाहिर की हैं। उन्होंने घटते वन क्षेत्र और पहाड़ों में विकास के नाम पर हो रहे विनाश पर चिंता जताई है। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। सवाल ये है कि क्या ये विकास विनाश की तरफ हमें आगे बढ़ा रहा है।

उत्तराखंड में मानसून की भारी बारिश ने प्रदेशभर में तबाही मचाई हुई है। मॉनसून की बारिश से प्रदेश को भारी नुकसान हुआ है। एक ओर जहाँ राज्य की 70 से अधिक सड़के बंद है तो वही दूसरी और चारधाम यात्रा पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। दूसरी और राज्य में भी जन हानि का भारी नुकसान हुआ है। वहीं सरकार का कहना है कि बंद पड़े मार्गों को खोलने का प्रयास जारी है। जल्द ही चारधाम यात्रा समेत प्रदेश के अन्य मार्गो को भी सुचारु किया जायेगा। वहीं विपक्ष का आरोप है की समय रहते यदि सरकार ने तैयारी की होती तो लोगों को इतनी परेशानियों का सामना ना करना पड़ता।

वहीं एक ओर जहाँ राज्य में आपदा के मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है तो वही दूसरी और संसद में भी आपदा के मद्दे पर जमकर हंगामा हुआ है। दअरसल, कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने संसद में प्रकृति और हिमालय के दोहन पर चिंता जाहिर की हैं। उन्होंने घटते वन क्षेत्र और पहाड़ों में विकास के नाम पर हो रहे विनाश पर चिंता जताई है। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर विपक्ष हमलावर हो गया है। कुल मिलाकर राज्य में आई आपदा पर विपक्ष ने सदन से सड़क तक सत्तपक्ष की घेराबंदी तेज कर दी है. सवाल ये है की आखिर क्यों सत्तापक्ष के सांसदों ने इस मुद्दे पर आवाज क्यों नहीं उठाई?

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