उत्तराखंड: राहुल गांधी को मंदिर में जाने से रोकने पर कांग्रेस में आक्रोश

उत्तराखंड, देहरादून: भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी को मंदिर प्रवेश से रोकने को लेकर प्रदेश कांग्रेस में आक्रोश है| इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार असम में गतिमान यात्रा के दौरान राहुल गांधी आज प्रातः असम के मंदिर में भगवान राम के दर्शन हेतु पहुंचे। परंतु दिल्ली में बैठे हुए अपने आकाओं के इशारे पर जिस तरह से असम के मुख्यमंत्री ने अपने पद और सत्ता का दुरुपयोग करते हुए पुलिस प्रशासन के जोर पर राहुल गांधी और उनके साथियों को बल प्रयोग करके मंदिर में दर्शन नहीं करने दिया गया| इस पर उत्तराखंड कांग्रेस घोर विरोध करती है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आज भाजपा, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर को अपनी निजी संपत्ति समझ लिया है। महारा ने कहा- आजादी के तुरंत बाद ही राम मंदिर निर्माण के लिए संत समाज द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर दिया गया था|

उस वक्त भाजपा दूर-दूर तक कहीं नहीं थी। महारा ने कहा, राम मंदिर के लिए संघर्ष और आंदोलन कोई मोदी राज में शुरू नहीं हुआ। देश में यह आंदोलन सालों साल से चल रहा है। भाजपा जो मात्र 1980 में जन्मी हुई पार्टी है, वह आज राजनीतिक लाभ लेने के लिए मंदिर निर्माण का श्रेय हड़प रही है।

महारा ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अयोध्या में दिव्य भव्य राम मंदिर का निर्माण सरकारी धन से हो रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी उसका श्रेय भी स्वयं लेना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान नहीं हो रहा है, संतों के ट्रस्ट की जगह आरएसएस का ट्रस्ट बना दिया गया है और अब भगवान राम के प्रति आस्था को भी दलगत आस्था से जोड़ दिया गया है।

महारा ने पूछा- क्या भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य किसी दल का कार्यकर्ता भगवान राम का नाम नहीं ले सकता? मंदिर में जाकर भगवान की पूजा अर्चना और अराधना अपने तरीके से नहीं कर सकता ? आज राहुल गांधी पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत असम में जब मंदिर में अपनी आस्था के अनुसार भजन कीर्तन एवं दर्शन के लिए गए तो असम सरकार द्वारा राहुल गांधी को रोकने का प्रयास किया गया। यह संविधान में प्रदत्त व्यक्तिगत आस्था पर सीधा-सीधा प्रहार है। महारा बोले, अब क्या मंदिर में भगवान के दर्शन करने पर भी पहरा लगा दिया गया है ?

महारा ने कहा कि असम सरकार द्वारा इस कदम की पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर आलोचना हो रही है। राहुल गांधी जो ईश्वर में स्वाभाविक आस्था रखते हैं और केदारनाथ धाम के दर्शन के साथ साथ समय-समय पर कई धर्म स्थलों के दर्शन करते रहते हैं। उनकी आस्था पर भाजपा सवालिया निशान लगाने वाली कौन होती है? महारा ने कहा कि राहुल गांधी उस वक्त केदारनाथ धाम के दर्शन करने आए जब दैवीय आपदा के बाद वहां कोई आने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। उस वक्त कई किलोमीटर पैदल चलकर उन्होंने केदारनाथ धाम की यात्रा की थी। अमरनाथ जी के दर्शनों के लिए भी वह पैदल चलकर ही गए थे लेकिन भाजपा राम के नाम पर और धर्म की आड़ लेकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है और तो और वह चारों पीठों के सम्मानित शंकराचार्यों के निर्देशों और सुझावों को भी नहीं मान रही है और आस्था की मनमानी व्याख्या करने पर तुली हुई है।

महारा ने कहा कि चारों शंकराचार्य जो कह रहे हैं वह शास्त्र सम्मत और अकाट्य बातें हैं। आदिकाल से हमारे पुराणों वेदों और शास्त्रों में जो बात कही गई है। वह बताकर आदरणीय शंकराचार्य दिगभ्रमित लोगों का मार्गदर्शन और उन्हें सचेत करने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु उनकी बातों को जानबूझकर अनदेखा और अनसुना किया जा रहा है। महारा ने कहा कि राहुल गांधी इस देश के लिए अपने प्राण निछावर करने वाले शहीद स्वर्गीय राजीव गांधी के बेटे और स्वर्गीय इंदिरा गांधी के पोते हैं। ऐसे में इस देश पर उनका उतना ही अधिकार है जितना किसी और का। महारा ने कहा कि आज जो कुछ भी असम में हुआ वह नहीं होना चाहिए था और इसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है।

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