KNEWS DESK – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नए साल के मौके पर राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि यह कानून राज्य के नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा और देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक होगा। धामी के इस कदम से राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने की संभावना है।
UCC का उद्देश्य समानता और एकता
मुख्यमंत्री धामी ने अपने पोस्ट में कहा, “हम समान नागरिक संहिता लागू करने जा रहे हैं, जो राज्य के नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा। यह कानून न केवल समानता को बढ़ावा देगा, बल्कि देवभूमि के मूल रूप को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा।” उनका मानना है कि इस कानून से राज्य में सामाजिक और राजनीतिक एकता को बल मिलेगा, और राज्य के नागरिकों को समान अधिकार मिलने से विविधताओं के बावजूद एकता को बढ़ावा मिलेगा।
समान नागरिक संहिता विधेयक का इतिहास
उत्तराखंड सरकार ने इस साल समान नागरिक संहिता के लिए कानून पारित किया था। यह कानून राज्य के समाज में एकता और समानता को बढ़ावा देगा, और विशेष रूप से हुलद्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए साम्प्रदायिक हिंसा के बाद लागू किया गया। फरवरी में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया गया, और बाद में 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसे मंजूरी दी गई। इसके बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने इस कानून को लागू किया।
UCC के लिए गठित विशेषज्ञ समिति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता के मसौदे पर कार्य करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी। इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने की थी। समिति ने फरवरी में UCC का विस्तृत मसौदा राज्य सरकार को सौंपा था, जिसके बाद सरकार ने विधानसभा में UCC विधेयक प्रस्तुत किया। विधेयक को 7 फरवरी को पास किया गया, और राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद यह कानून लागू हुआ।
कई अन्य राज्य भी UCC को लागू करने में इच्छुक
उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता को अब कई भाजपा शासित राज्यों ने अपना आदर्श मानते हुए इसे लागू करने की इच्छा जताई है। असम जैसे राज्यों ने उत्तराखंड के मॉडल को अपनी राज्य सरकार में लागू करने की संभावना पर विचार किया है। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने की संभावना जनवरी के अंत तक पूरी हो सकती है।