देहरादून। पलायन की मार झेल रहे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को फिर से खुशहाल करने के लिए धामी सरकार लगातार रिवर्स पलायन की बात पर जोर देती है। सरकार बार बार कहती है कि उत्तराखंड के युवा पहाड़ पर स्वरोजगार कर के भी अपना जीवन यापन कर सकते है और इसलिए प्रदेश सरकार भी हर बार रिवर्स पलायन की बात पर जोर देती है।
वही रक्षा मंत्रालय से तकनीकी अधिकारी के पद से रिटायर सन्तन सिंह तोमर ने पहाडो से पलायन रोकने के लिए सरकारी उपक्रमों मे ज्यादा से ज्यादा स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग की है।
इसके साथ ही उन्होने सरकार से अनुरोध किया है कि रिवर्स पलायन करने वाले को प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए और साथ मे उनके टूटे घर को दोबारा बनाने के लिए भी सब्सिडी मिलनी चाहिए।
तोमर ने इस दिशा मे एक सुझाव पत्र पलायन आयोग के साथ ही राज्य सरकार को भी भेजा है। पत्र मे उन्होंने कहा कि जनसंख्या के आधार पर पहाडी गावो को छोटे बडे समूहो मे बाँटा जाना चाहिए।
मैदानो मे स्थापित होने वाले शिक्षण, औद्योगिक,क्रीडा संस्था के साथ ही अस्पतालो के लिए अनिवार्य कर दिया जाए और वे किसी एक समूह को गोद ले।
पहाड़ के युवाओं को रोजगार,प्रशिक्षण,स्वास्थ्य देने की जिम्मेदारी ऐसे संस्थानों की तय हो।
महिलाओं को जीवन यापन करने के लिए दुरूह जीवन भत्ता भी मिले। उत्तराखंड की राजधानी पहाडी क्षेत्रो मे बनाई जाए। लोगों को विशेष आरक्षण की सुविधा दी जाए।