KNEWS DESK, देवभूमि उत्तराखंड में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन जगह-जगह हो रहे हादसों ने चिंता को बढ़ा दिया है। इसी नवंबर महीने में कई बड़े सड़क हादसे देखने को मिले हैं। एक ओर जहां अल्मोड़ा में हुए भीषण बस हादसे में 36 लोगों की जान गई है तो वहीं देहरादून के ओएनजीसी चौक में छह बच्चों की मौत और अब इसके बाद ऋषिकेश का दर्दनाक हादसा सामने आया है। इस हादसे में उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार समेत तीन लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी ट्रक चालक को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं सात कारों को रौंदते हुए यूकेडी नेता त्रिवेंद्र पंवार समेत तीन लोगों की जान लेने वाले आरोपी ट्रक चालक के पास लाइसेंस नहीं था। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि ब्रेक पैडल के बजाय उसका पैर एक्सीलेटर पर पड़ गया, जिससे ट्रक बेकाबू हो गया और यह हादसा हो गया। पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि पुलिस प्रशासन सड़क हादसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम है। बढ़ते सड़क हादसे केवल व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है कि हमारी सड़कों पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यह सरकार और पुलिस की बड़ी नाकामी है। सवाल ये है कि आखिर तमाम हादसों के बाद भी आखिर क्यों जिम्मेदार विभाग सबक नहीं ले रहे हैं।
उत्तराखंड में आए दिन हो रहे सड़क हादसे सरकार के साथ आम लोगों की भी चिंता बढ़ा रहे हैं। अकेले राजधानी देहरादून की बात करें तो देहरादून में मात्र 15 दिनों में ही 12 सड़क हादसे हुए है जिनमें 12 लोगों की जान गई है। वहीं पूरे प्रदेश भर में भी ये आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी नवंबर महीने की बात करें तो कई बड़े सड़क हादसे देखने को मिले हैं। एक ओर जहां अल्मोड़ा में हुए भीषण बस हादसे में 36 लोगों की जान गईं तो वहीं देहरादून के ओएनजीसी चौक में छह बच्चों की मौत और अब इसके बाद ऋषिकेश का दर्दनाक हादसा सामने आया है। इस हादसे में उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार समेत तीन लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। बढ़ते सड़क हादसों ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। वहीं अब इस मुद्दे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है
वहीं राज्य में बढ़ते सड़क हादसों पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि पुलिस प्रशासन सड़क हादसे रोकने में पूरी तरह से नाकाम है। बढ़ते सड़क हादसे केवल व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है कि हमारी सड़कों पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। यह सरकार और पुलिस की बड़ी नाकामी है। बता दें कि नवंबर माह के पिछले पंद्रह दिन हादसों के लिहाज से बेहद चिंताजनक साबित हुए है। इस अवधि में 12 सड़क हादसों में 21 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में 90 फीसदी के करीब युवा 25 वर्ष से कम उम्र के थे।
कुल मिलाकर राज्य में एक के बाद एक हो रहे सड़क हादसों ने सरकार के साथ ही आम जन की चिंता को बढ़ा दिया है। अल्मोड़ा में हुए बस हादसे के बाद माना जा रहा था कि शासन प्रशासन इस हादसे से कोई सबक लेगा लेकिन इस हादसे के चंद दिनों में एकाएक हो रहे सड़क हादसे शासन प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।