KNEWS DESK – श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की वर्षगांठ की तिथि में बदलाव करने का निर्णय लिया है। पहले यह आयोजन 22 जनवरी 2025 को होना था, लेकिन अब इस दिन कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक मणिरामदास की छावनी में हुई, जिसकी अध्यक्षता ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने की। बैठक में ट्रस्ट के 10 सदस्य मौजूद रहे, जबकि पांच सदस्य किसी कारणवश बैठक में शामिल नहीं हो सके। बैठक के दौरान मंदिर निर्माण की प्रगति रिपोर्ट और आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया गया।
22 जनवरी को नहीं होगा आयोजन
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के लिए निर्धारित तारीख में बदलाव किया है। अब इस विशेष आयोजन को 22 जनवरी को नहीं मनाया जाएगा, जैसा कि पहले तय किया गया था। ट्रस्ट की बैठक मणिरामदास की छावनी में हुई, जिसमें राम मंदिर निर्माण की प्रगति रिपोर्ट और आय-व्यय के विवरण के साथ-साथ प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तिथि पर भी चर्चा हुई। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव अब “प्रतिष्ठा द्वादशी” के रूप में मनाया जाएगा।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि हिंदू धर्म में तिथियों के अनुसार पर्व मनाने की परंपरा है, और इसलिए 22 जनवरी को कोई कार्यक्रम नहीं होगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को हुई थी, जो पौष शुक्ल द्वादशी (कूर्म द्वादशी) के दिन थी, और इसी तिथि पर अब प्रतिष्ठा द्वादशी का उत्सव मनाया जाएगा।
आगामी वर्ष के उत्सव की योजना
चंपत राय ने बताया कि अगले वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को आएगी। इस दिन तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के महत्व को धूमधाम से मनाया जाएगा। पहले साल के अनुभव के आधार पर अगले वर्षों में इसे चार या पांच दिन का उत्सव बनाया जा सकता है। उत्सव की रूपरेखा और अन्य तैयारियों को लेकर ट्रस्ट के सदस्य जल्द ही योजना को अंतिम रूप देंगे। इस बदलाव से यह साफ है कि मंदिर के प्रतिष्ठा द्वादशी के उत्सव को एक नई दिशा और स्वरूप दिया जा रहा है, जिसमें हिंदू तिथियों का पालन करते हुए कार्यक्रम की तिथि का निर्धारण किया जाएगा।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, और इसके साथ ही मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और उत्सवों की रूपरेखा तैयार की जा रही है।