उत्तराखंड: उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है और इसकी समस्याए भी पहाड़ जैसी है। चाहे वो स्वास्थ्य हो या शिक्षा हर सुविधा के लिए भारी मशक्क़त करनी पड़ती है। ऐसे में शासन ने कार्मिकों को राहत देते हुए फैसला लिया है की ऐसे कार्मिक जो लम्बे समय से दुर्गम क्षेत्रों में सेवाए दे रहे है या कठिन रोगों से ग्रस्त उनको पहले से चली आ रही 15 प्रतिशत की स्थानांतरण की व्यवस्था है उससे इतर स्थानांतरण दिया जायेगा। विशेष परिस्थिति में 15 प्रतिशत से स्थानांतरण की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। ऐसे कार्मिक जो कठिन रोग से ग्रस्त हैं, या जिनकी संतान रोग से ग्रस्त है अथवा इकलौती संतान विकलांग है। ऐसे कार्मिकों को अनिवार्य स्थानांतरण से छूट अनुरोध पर स्थानांतरण दिया जा सकता है। जिनको 15% के स्थानांतरण के दायरे से बाहर रखा जाएगा। राज्य में कार्मिकों के स्थानांतरण को लेकर बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने करी। इसमें कार्मिकों के स्थानांतरण से संबंधित अधिनियम के प्रावधानों में थोड़ी छूट दी है। हालांकि स्थानांतरण पात्रता सूची में 15% को भी जगह दी जाएगी। लेकिन कार्मिकों की कुछ विशेष परिस्थिति को देखते हुए कार्मिकों का स्थानांतरण किया जा सकेगा जो कि 15% के अतिरिक्त होगा। इसमें ऐसे कार्मिक शामिल किए जाएंगे, जो गंभीर रूप से बीमार है, साथ ही ऐसे बच्चों के अभिभावकों को छूट दी जाएगी जो गंभीर रूप से बीमार है या इकलौती संतान विकलांग ग्रस्त है।इन बीमारियों से ग्रस्त कार्मिकों को छूट दी जाएगी किडनी संबंधित समस्या होने पर, ब्लड कैंसर, मिर्गी रीड की हड्डी टूटना, हृदय रोग, मानसिक रोग, एचआईवी एड्स पॉजिटिव, तपेदिक रोग।