देहरादून: शहर में जहां तहां कूड़े का ढेर लगा दिखता है, जिससे न केवल आमजन को समस्या होती है, बल्कि इसकी दुर्गन्ध से कई बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। इसलिए कूड़े का निस्तारण करना जरूरी हो जाता है। इसी संम्बन्ध में दाखिल प्लास्टिक कचरे पर प्रतिबंध एक पीआइएल पर हाइकोर्ट ने सचिव पंचायतीराज को निर्देश दिये कि सभी ग्राम पंचायतों को कूड़ा निस्तारण की सुविधा उपलब्ध करायें। साथ ही राज्य सरकार को भी कहा कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमैंट से सम्बधित जो नियम हैं जिसमें 5000 से दो करोड़ तक का प्रावधान है उसे कड़ाई से लागू किया जाए साथ ही उसकी रिपोर्ट पेश की जाए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ती विपिन सांघी व वरिष्ट न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवायी करते हुुए कहा। कूड़ा निस्तारण के लिए आबंटित भूमि पर लोगों द्वारा किये गये अतिक्रमण के लिए शपथपत्र पेश करें। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे जगहों जहां कूड़ा फैला रहता है, उसकी महिने में पांच दिन जांच की जाय। दरअसल अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव ने हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दी। जिसमेें कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2013 में नियमावली बनायी गयी। जिसका राज्य में उल्लंघन किया गया है।