उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय चल रहे ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का उद्घाटन करने के लिए आज राजधानी देहरादून में पहुंचे यह आयोजन देहरादून स्थित ऑफ आर आई मैं बड़े दिव्या तरीके से आयोजित किया गया जिसमें देश से लेकर विदेश के तमाम उद्योगपतियों का आगमन हुआ साथ ही पहाड़ पर इन्वेस्ट करने के लिए लगातार धामी सरकार देश और विदेश में भ्रमण कर चुकी है प्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर सबमिट में ढाई लाख करोड़ एमओयू के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया था हालांकि अब यह लक्ष्य पूर्ण हो चुका है और इससे ज्यादा लक्ष्य प्राप्ति की संभावनाएं सरकार की तरफ से जताई जा रही है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ वर्ष पहले जब बाबा केदार के दर्शन के लिए देवभूमि आए तब अपने शब्दों को कहा था की 21वीं सदी का यह तीसरा दशक उत्तराखंड का दशक होगा वहीं प्रधानमंत्री ने पहाड़ का पानी पहाड़ की जवानी को बरकरार रखने के लिए उद्योगपतियों को गुरु मंत्र भी दिया और साथ ही उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग मूवमेंट चलाने की सलाह भी दी वही इस पूरे मामले पर देश के विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के ऊपर हमला बोला है कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सरकार इन्वेस्ट्रो को लुभाने नहीं बौखलाने का काम कर रही है इससे पहले भी इस तरह के सममिट किए गए जिसमें केंद्र सरकार ने आज भी कई इन्वेस्टरों के करोड़ों रुपया देना बकाया है और इन्वेस्टर आज भी अपना पैसा सरकार से मांग रहे हैं
धामी सरकार का ढाई सौ करोड़ रुपए का इन्वेस्टर समिट को लेकर एमआईयू पूरा हो चुका है वहीं सरकार का दावा है कि यह 3 लाख करोड़ से ज्यादा का इन्वेस्ट उत्तराखंड को आने वाले समय में मिलेगा वहीं सूबे के मुख्यमंत्री ने देश के तमाम उद्योगपतियों को प्रदेश में अपनी सहभागिता निभाने के साथ-साथ प्रदेश सरकार की तरफ से पूरा विश्वास जताया है प्रधानमंत्री ने भी उत्तराखंड के लिए भविष्य में होने वाले डेवलपमेंट से लेकर तमाम व्यापार संबंधित योजनाओं को गिनवाते हुए उत्तराखंड को सदी का तीसरा दशक बताया
वही ग्लोबल समिट से प्रदेश की युवाओं में आशा की किरण भी जगी है युवाओं का मानना है कि प्रदेश में हो रही बेरोजगारी और पलायन के चलते अब हम लोगों को प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा
वहीं विपक्षी दल कांग्रेस का मानना है कि सरकार की तरफ से इससे पहले भी इस तरह के इन्वेस्टर समिट योजना को लागू किया गया था जिसका नाम था आई बी एस इस योजना के तहत पहाड़ी राज्यों में जो भी इन्वेस्टर आएगा उस पर 30 परसेंट की सब्सिडी दी जानी थी केंद्र सरकार ने इस योजना को 5 साल के लिए लागू किया था लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण इस योजना को 1 साल पहले ही 2021 में बंद कर दिया गया जिसमें बड़े इन्वेस्टरों का आज भी 5000 करोड़ रुपए के लगभग बकाया केंद्र सरकार से मांग रहे है इससे पता चलता है कि जो भी सरकार बात कर रही है वह सब बनावटी और खोकला है
हालांकि 2017 में भाजपा की सरकार में रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर भव्य रूप से कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें देश और विदेश के उद्योगपतियों को भी बुलाया गया था लेकिन सरकार के तमाम दावे अभी तक धरातल पर उद्योगों को विस्थापित करने में असफल नजर आए सवाल ये है कि प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी के लगातार बढ़ते इन प्रयासों का आगे पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी स्थापित रखने में कितना बड़ा योगदान होगा यह बरहाल देखना होगा उत्तराखंड टैक्स रिपोर्ट
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