उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले धामी सरकार की टेंशन निकाय चुनाव ने बढ़ा दी है। वहीं इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि राज्य में अभी तक निकाय चुनावों की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की गई है, जबकि निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर को समाप्त हो रहा है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी दो सप्ताह के भीतर यह बताने के निर्देश दिए हैं कि निकाय चुनाव कराने के लिए उनकी क्या तैयारी है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में स्थानीय निकायों का चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए सरकार पर तंज कसा है कि राज्य को कोर्ट संचालित कर रहा है….और राज्य सरकार को अब तो नगर निकाय के चुनाव कराने चाहिए….वहीं बीजेपी का कहना है कि सरकार सही समय पर सही कदम उठाएगी सवाल ये है कि आखिर धामी सरकार निकाय चुनाव कराने से क्यों बच रही है
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले धामी सरकार की टेंशन निकाय चुनाव ने बढ़ा दी है। वहीं इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि राज्य में अभी तक निकाय चुनावों की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की गई है, जबकि निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर को समाप्त हो रहा है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी दो सप्ताह के भीतर यह बताने के निर्देश दिए हैं कि निकाय चुनाव कराने के लिए उनकी क्या तैयारी है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में स्थानीय निकायों का चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई की। जसपुर निवासी अनीस ने याचिका दायर कर कहा कि राज्य में जसपुर नगरपालिका सहित प्रदेश के स्थानीय निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर को खत्म हो रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक निकाय चुनाव की घोषणा नहीं की है,
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा था कि स्थानीय निकायों का पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जाए, ताकि नए बोर्ड का गठन तय समय के भीतर हो सके। वहीं नैनीताल हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य में स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त होने में अब केवल दो माह से कम का समय बचा है। इसके बावजूद सरकार ने निकाय चुनाव कराने के लिए कार्यक्रम तक घोषित नहीं किया है। वहीं हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए सरकार पर तंज कसा है साथ ही सरकार से जल्द से जल्द नगर निकाय के चुनाव कराने की मांग की है….वहीं बीजेपी का कहना है कि सरकार सही समय पर सही कदम उठाएगी
कुल मिलाकर कोर्ट के आदेश ने धामी सरकार की टेंशन को बढ़ा दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार पर निकाय चुनाव जल्द कराने का दबाव बढ़ गया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों निकाय चुनाव को टाला जा रहा है। क्या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव कराने का जोखिम नहीं लेना चाहती, क्या कोर्ट के आदेश के बाद अब धामी सरकार निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार होगी