गैरसैंण। उत्तराखंड राज्य बनने के से ही स्थाई राजधानी गैरसैंण का मुद्दा राज्य के लिए एक बड़ा विषय और राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। हालांकि पूर्व में त्रिवेद्र रावत सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा का सत्र आयेजित कर गौरसैण को राज्य की गरिष्मकालिन राजधानी घोषित किया था। लेकिन त्रिवेद्र रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बद से गैरसैंण में अब तक एक बार भी विधानसभा का सत्र आयोजित नही हो पाया है। जिसको लेकर सरकार समय समय पर विपक्ष सरकार का घेराव कारता रहता है।
वही 26 जनवरी के दिन भरारीसैड के विधानसभा परिसर में किसी भी मंत्री के द्वारा ध्वजारोहण न किये जाने के बाद विपक्ष लगातार नाराजगी जता रहा है।
इसी क्रम में आज पूर्व मुख्यमंत्री हरिश रावत धरना देने भरारीसैड पहुचें जहां पर स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा क्रमियो से रावत समेत कंग्रेस के बडे नेताओ की झडप हो गयी थी।
प्रशासन ने आन्दोलनकारियो को मुख्य विधानसभा परिसर में धरना देने से रोक दिया। जिसके बाद पूर्व सीएम समेंत अन्य कंग्रेस नेताओ ने विधानसभा के मुख्य द्वार एक घंटे तक मैन व्रत धारण कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
वही पूर्व सीएम ने विधानसभा जाने पर रोेके जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। रावत ने कहा की मैं माननीय विधानसभा स्पीकर और माननीय मुख्यमंत्री जी के इस कदम की निदां करता हूं। यह राज्य के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी है। सरकार यह कदम गैरसैण और गैरसैणियत के अपमान पर नमक छिडकने के जैसा काम है।
रावत ने कहा है कि मैं इसके विरोध में देहरादून में भी उपवास पर बैठूंगा। इस दौरान वहां पूर्व अध्यक्ष कांगे्रस गणेश गोदीयाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिह कुुजवाल पुर्व सांसद प्रदीप टम्टा समेत कांगेस के अन्य नेता मैजूद रहे।