नकल विरोधी अध्यादेश पर राज्यपाल की मोहर, दस करोड़ जुर्माना व आजीवन कारावास

उत्तराखण्ड: उत्तराखण्ड में सरकारी पदों पर हो रही भर्ती परीक्षाओं में लगातार एक के बाद एक गड़बड़ियों से एक ओर जहां विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है वहीं इससे प्रदेश के युवाओं में भी आक्रोश है। जिससे बीते दिनों राजधानी के घंटाघर में युवाओं ने हजारों की संख्या हल्ला बोल सरकार को चेताया कि इस मामले में अब और टालबराई नहीं चलेगी। हालांकि सरकार इसे लेकर सख्त अध्यादेश लायी है जिसे स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा गया था। जहां से इस मामले मे देरी न करने हुए राज्यपाल सेनि लेफिटनेंट जनरल गुरमीत सिंह द्वारा इस अध्यादेश पर चैबीस घंटे के भीतर ही मुहर लगा स्वीकृति दे दी गयी। इसमें इतने कड़े प्रावधान दिये हैं कि अब कोई भी प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली करने से पहले सौ बार सोचेगा।

आजीवन कारावास और दस करोड़ तक जुर्माना
इसे आज से लागू कर दिया गया है अब परीक्षाओं में धांधली, नकल, पेपर लीक मे पाये जाने पर आजीवन कारावास की सजा व दस करोड़ तक का जुर्माने से दंडित किया जायेगा। साथ ही दोषी पाये जाने पर संपत्ति भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है। परीक्षाओं मे निरंतर हो रही धांधली से निराश हो रहे युवाओं के लिए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि दोषियों पर कार्यवाही जारी है अध्यादेश में कड़े प्रावधान किये गये हैं जिससे अब अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों पर और सख्त कार्यवाही होगी। सीएम धामी ने कहा कि अब अभ्यर्थियों को निश्चिंत होकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करनी चाहिए।

गैर जमानती अपराध होगा
अध्यादेश के लागू होने के बाद से अगर कोई अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करता या करवाता हुआ साथ ही नकल के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाया गया तो उसे तीन साल की सजा और न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने से दंडित किया जायेगा। दूसरी बार भी ऐसा करते हुए पाये जाने पर न्यूनतम दस वर्ष की सजा व दस लाख जुर्माने से दण्डित किया जायेगा। प्रतियोगी परीक्षाओं मे अगर कोई व्यक्ति कोंचिग संस्थान, प्रिटिंग प्रैस, अन्य किसी तरह से संलिप्त पाया जाता है तो उसको आजीवन कारावास व दस करोड़ तक के जुर्माने से दंडित किये जाने का प्रावधान कियेगा। इसके अलावा अभ्यर्थी के नकल में जाने और आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख से दो से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया जायेगा। अभ्यर्थी द्वारा ऐसा फिर करने पर आरोपपत्र दाखिल की तारीख से पांस से दस साल तक के लिए निलंबन किया जायेगा। अगर अभ्यर्थी पर दोष सिद्ध हो जाता है तो उसे आजीवन के लिए भर्ती परीक्षाओं से वंचित रखा जायेगा।

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