Knews Desk, उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में गैर हिंदुओं पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। इस बात की जानकारी स्थानीय विधायक आशा नौटियाल ने दी। आशा नौटियाल ने कहा कि कुछ गैर हिन्दू केदारनाथ धाम को बदनाम करने के लिए वहां पर मांस, मछली व शराब परोसने का काम कर रहे हैं। ऐसे में उन लोगों को चिन्हित करते हुए उन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। पिछले दिनों प्रभारी मंत्री सौरभ बहुगुणा ने भी वहां पर तमाम लोगों के साथ बैठक थी, जिसमें यह सुझाव भी आया था कि गैर हिंदू केदारधाम को बदनाम करने का काम करते हैं उन्हें चिन्हित किया जाए और उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाय। वही विपक्षी पार्टियां इसे इत्तेफाक नही रखती कांग्रेस का कहना है केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल से यह प्रश्न होना चाहिए कि विधायक बनते समय उन्होंने क्या शपथ ली थी। उन्होंने कहा था देश की एकता-अखंडता अक्षुण्ण रखूंगी, तो क्या गैर हिन्दू देश या प्रदेश के नागरिक नही है। कुल मिला कर जहां भाजपा इसे धार्मिक स्थल की पवित्रता से जोड़कर पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे धार्मिक आधार पर राजनीति करने का हथकंडा करार दे रही है. दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जिससे यह विवाद और गहराता जा रहा है.
केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल के बयान के बाद जहां एक और भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता उनका समर्थन या विरोध करने से कतराते हुए नजर आए वही राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने आशा नौटियाल के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि स्थानीय लोगों की मांग के आधार पर स्थानीय विधायक ने इस तरह का बयान दिया होगा साथ ही बंसल ने कहा कि जिस तरह से पूर्व में तमाम ऐसी सनातन विरोधी घटनाएं सामने आई है जिससे सनातन धर्म का अपमान हुआ है इसलिए मेरा भी यही मानना है कि गैर सनातनी लोगों को या जो लोग सनातन धर्म में अपनी आस्था नहीं रखते हैं उनको हमारी इस पवित्र यात्रा में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।
केदारनाथ धाम में गैर हिंदुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर विधायक आशा नौटियाल के बयान का संत समाज ने खुलकर समर्थन किया संतों ने कहा कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना हर श्रद्धालु का कर्तव्य है और इस संबंध में नियमों का पालन किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि यदि केदारनाथ धाम की छवि खराब हो सकती है तो ग़ैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। संतों ने एक स्वर में कहा कि केदारनाथ और अन्य प्रमुख तीर्थस्थलों की गरिमा को बनाए रखने के लिए सख्त नियम की आवश्यकता हैं। संतों का आरोप है कि निश्चित रूप से कुछ ग़ैर हिन्दू ऐसे होते हैं जो बाहर से आकर धाम को बदनाम करने के लिए गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होते हैं। ऐसे में सरकार को हिंदू धर्म की परंपराओं का सम्मान करते हुए मंदिरों की मर्यादा को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
इस मुद्दे ने अब सियासी रंग ले लिया है. जहां भाजपा इसे धार्मिक स्थल की पवित्रता से जोड़कर पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे धार्मिक आधार पर राजनीति करने का हथकंडा करार दे रही है. दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जिससे यह विवाद और गहराता जा रहा है. केदारनाथ धाम हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. ऐसे में इस तरह के विवाद से न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि उत्तराखंड की शांत छवि पर भी सवाल उठ रहे हैं. अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं.