Uttarakhand Desk, उत्तराखंड राज्य गठन के 25 साल पूरे होने पर जहां एक तरफ सरकार रजत जयंती वर्ष के रूप में जश्न मना रही है तो वहीं इन 25 सालों के आत्मचिंतन के लिए तीन दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया है. जिसमें सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के विधायक अपने-अपने विचार रखे हैं. इसके साथ ही प्रदेश ने इन 25 सालों में क्या कुछ खोया और क्या कुछ पाया? इस पर भी सभी विधायकों ने अपनी बात रखी.सत्र के दौरान कई विधायकों ने गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने पर भी जोर रखा गया जिसको लेकर तीन दिन चले विधानसभा सत्र में एक बार फिर राजधानी के मुद्दे को लेकर राजनीति गर्म हो चुकी है.और हो भी क्यों ना जब राज्य अपने 25 वर्ष पुरे होने का जश्न धूमधाम से मना रहा है.लेकिन इन वर्षो में अभी तक प्रदेश को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है.जो आज भी पहाड़ का दर्द बनी हुई है.ऐसे में सत्ता पक्ष के विधायकों साथ ही विपक्ष के नेताओ ने प्रदेश में राजधानी ना होने को लेकर सदन में जम का विरोध कटा
सत्ता पक्ष के विधायकों ने साफ कहा कि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने का फैसला पूर्व सरकारों के घोषणा पत्र और जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. भराड़ीसैंण-गैरसैंण में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है और सरकार इस दिशा में पूरी तरह प्रतिबद्ध है. गैरसैंण कुमाऊं और गढ़वाल की भावनाओं का केंद्र है,और इसे पूर्ण राजधानी बनाए जाने का संकल्प सभी दलों और जनता का है.ये भी स्पष्ट है. कि गैरसैंण को लेकर सरकार का रुख अडिग है. इस मुद्दे पर अनावश्यक विवाद खड़ा करना राज्य की जनभावनाओं के खिलाफ है, क्योंकि उत्तराखंड के लोग चाहते हैं कि गैरसैंण ही पूर्ण राजधानी बने। वही दूसरी ओर विपक्ष के विधायकों ने सरकार को चेताया की आज 25 सालों के सफर पर चर्चा की जा रही है, लेकिन इस चर्चा में सबसे बड़ा केंद्र बिंदु स्थायी राजधानी का है. सदन में एक आवाज उठी है की वह स्थायी राजधानी के मुद्दे पर एक हों और स्थायी राजधानी गैरसैंण को लेकर लामबंद हो. सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें स्थायी राजधानी कहां बनानी है? यदि देहरादून में बनानी है तो तय किया जाए और यदि गैरसैंण में बनानी है तो वह भी तय किया जाए. 25 सालों में उत्तराखंड राज्य को अपनी स्थायी राजधानी नहीं मिली है. इससे बड़ा फेलियर के लिए कुछ नहीं हो सकता है