देहरादून। पिछले साल जोशीमठ मे भू धसाव और मकानों मे दरार आने का सिलसिला कुछ थम जरूर गया था लेकिन रुका नहीं था। वही अब बरसात का मौसम शुरू होने जा रहा इससे नगर के लोगों मे दहशत का माहौल है।
वही इसी बीच जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि भू धसाव से प्रभावित लोगों के राहत शिविर से वापस अपने घरों मे लौटने के बाद वहां एक बार खतरा फिर कई गुना तक बढ़ गया है। और मानसून मे बारिश को लेकर भी जोशीमठ के लोग आतंकित है।
गुरुवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने राजधानी देहरादून मे पत्रकारों से वार्ता करने के बाद जोशीमठ के हालातो पर चर्चा की इसी दौरान समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि मामला जोशीमठ का है और चर्चा देहरादून मे इसलिए कि गई क्योंकि गढवाल कमिश्नर और जिला प्रशासन चमोली उनकी मांगों को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दे रहा है।
सती ने बताया कि मानसून सीजन मे जोशीमठ नगर वासियों की समस्या निश्चित रूप से बढ़ने वाली है। 90 प्रतिशत प्रभावित राहत शिविरों से अपने दरार पड़े हुए और जर्जर हालत वाले घरों केा लौट चुके है।
सरकार पर आरोप लगाते हुए सती ने कहा कि समिति ने 11 सूत्रीय मांगों का जो मांग पत्र सरकार को सौंपा था सरकार ने उन मांगों के अनुरूप जमीनी स्तर पर कुछ भी काम नहीं किया है।
कुछ दिन पूर्व हुई बारिश से लोगों के चेहरे पर एक बार फिर दहशत और वही खौफ और आशंका नजर आई थीै। नगर की स्थिति बिल्कुल भी सामान्य नहीं है।स्थायीकरण के कुछ काम वैज्ञानिक सर्वे के रिपोर्ट आने पर होने है। लेकिन अभी तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि सरकार के आश्वासन पर धरने को स्थगित किया गया था। लेकिन अब सरकार के द्वारा समिति को ही यही तथ्य नही बताये जा रहे है। इसी दौरान जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार पर कई आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को बरसात से पहले जोशीमठ के लिए व्यापक स्तर पर काम करना चाहिए जिससे कि बरसात मे कोई अनहोनी न हो।