देहरादून| उत्तराखंड में हर साल त्योहार के सीजन में मिलावट खोरी के खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है। हर साल ही त्योहार के समय दूध, पनीर, दही आदि की मांग काफी ज्यादा बढ़ जाती है और इसमे मिलावट होनी भी शुरू हो जाती है। इसी वजह आज मिलावट का एक बाजार भी विकसित हो रहा है। मिलावटखोर लोग किसी ना किसी चीज में मिलावट करके लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है जो की उनके शरीर को बहुत ही हानी पहुचाने वाला है। इसलिए इन चीजों को खरीदते समय सभी लोगों को जरूर ध्यान देना चाहिए। आए दिन मिलावट को लेकर नए-नए मामले सामने आते रहते है। ज्यादातर देहरादून, हरिद्वार, यूएस नगर और नैनीताल में ही इसके मामले ज्यादा पकड़े जाते है। देहरादून के खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने पीसी जोशी ने बताया की पिछले तीन सालों से दूध के कुल 117 सैम्पल लिए गए थे जिसमें से 33 सैम्पल फेल पाए गए। यही हाल हरिद्वार में भी है पिछले साल करीब हरिद्वार में 50 सैम्पल लिए गए थे जिसमें से 16 में मिलावट पाई गई थी और नैनीताल में पिछले साल कुल 196 सैम्पल लिए गए थे जिसमें से 67 सैम्पल में मिलावट पाई गई। यूएस नगर में भी पिछले साल 568 सैम्पल लिए गए जिसमें से 108 फेल पाए गए।
दूध की कैसे कर सकते है पहचान
स्पेक्स संस्था के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा ने बताया कि दूध में पानी मिलाए अगर दूध में झाग आ जाता है तो दूध में डिटर्जेंट मिला हुआ है। दूध को अपने हाथों में रगड़े और अगर दूध साबुन के तरह चिकना लगे तो यह सिंथेटिक दूध हो सकता है। अगर दूध ग्राम करने पर हल्का पीला हो जाए तो उस दूध की कुछ बूंदों को किसी प्लास्टिक या प्लेन टुकड़े पर डाले और उसको थोड़ा टेढ़ा करे अगर दूध की बूंद सफेद लकीर छोड़ते हुए धीरे- धीरे बह रही है तो इसका मतलब दूध में पणी की मिलावट नहीं की गई है अगर दूध की बूंद सफेद निशान ना छोड़े तो इसका मतलब पानी की मिलावट की गई है। दूध में स्टार्च की मिलावट को जांचने के लिए उसमे कुछ बूंदे आयोडिन की टिंचर की डेल अगर दूध नीला हो जाए तो दूध मिलावटी है।
मिलावट वाले सारे खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के काफी हानिकारक है। मिलावटी दूध बनाने के लिए बहुत से केमिकल जैसे की ग्लूकोज, यूरिया, साबुन वाला पानी बहुत अधिक स्टार्च इस्तेमाल किए जाते है। इस मिलावटी दूध से उल्टी दस्त, लिवर और किडनी के साथ पेट के बहुत से खतरनाक रोग लग सकते है। इसलिए कोई भी चीज खरीदने से पहले सावधान रहना चाहिए।