देहरादून, प्रदेश सरकार फिलहाल उत्तराखंड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं के साथ ही विश्वविद्यालयों में नकल विरोधी कानून को लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। रविवार को सीएम धामी ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राज्य सरकार फिलहाल केवल प्रदेश में आयोजित होने वाली विभिन्न भर्ती परीक्षाओं को एक दम पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए कठोर कानून को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। फिलहाल उत्तराखंड सरकार भर्ती परीक्षाओं को नकल विहीन और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए देश का सबसे कठोर कानून बनाने े जा रही है। जिसके अंतर्गत परीक्षा के दौरान नकल करते हुए पकडे जाने पर परीक्षार्थी को 10 सालों तक राज्य में आयोजित होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। तो दूसरी ओर वहीं नकल कराने वाले के खिलाफ और सख्ती बरतने का फैसला लिया गया हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत अपराधी की सम्पती को कब्जे में लेने और गैंगस्टर लगाने का अधिकार दिया जा रहा है। सीएम धामी ने कहा है कि यदि पेपर को सेट करने वाली कंपनी पर्चा लीक करती है तो संपत्ति जब्त करने के साथ ही 10 करोड़. रुपये जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है। जहां एक ओर इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है। तो अब सिर्फ अब इस पर परीक्षण किया जा रहा है। प्रदेश सरकार का पहला इरादा सबसे पहले गंदगी को साफ करना है। जिससे भविष्य में गरीब, बेरोजगार और ईमानदार युवाओं के साथ कोई नाइंसाफी न हो।
न्याय विभाग ने सख्त कानून के लिए दिए कई सुझाव सख्त नकल कानून को लेकर न्याय विभाग की ओर से सरकार को कई सुझाव दिए गए है। अपर सचिव न्याय महेश चन्द्र कौशिक ने कार्मिक विभाग को एक ड्राफ्ट में आरोपी को निर्दोष साबित न होने तक जमानत न दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। साथ ही ओएमआर शीट जलाने, नष्ट करने और लूटने वाले को भी 10 साल के दायरे में लाने चाकू या अन्य कोई हथियार दिखा कर नकल कराने वाले को भी दोषी मानने का सुझाव दिया गया है।
66 लोगों की हो चुकी है अब तक गिरफ्तारी यूकेएसएससी भर्ती घोटाले में अब तक 66 एसटीएफ नें 54 लोगों की गिरफ्तारी की है। इनमें वीडिओ,वीपीडिओ वनदरोगा,सचिवालय रक्षक आदि शामिल है। तथा दूसरी ओर लोक सेवा आयोग के सामने पटवारी भर्ती मामले में एसआईटी और एसटीएफ ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।