हरिद्वार, उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दंगल से पहले राज्य में अभी से सियासी घटनाक्रम तेज हो गये है। एक तरफ जहां कांग्रेस के दो बडे नेता हरक सिंह रावत और हरीश रावत हरिद्वार से ताल ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर प्रीतम सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने से ही साफ इंकार कर दिया है। प्रीतम सिंह का आरोप है कि पार्टी ने उन्ही लोगों को जिम्मेदारी दी है जिन्होने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हराने का काम किया था….वहीं सत्ताधारी दल बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने में लगी है….इन्ही तैयारियों के बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा भी मंजूर हो गया है। कोश्यारी का कहना है कि वह अध्यन्न के लिए इस्तीफा दे रहे हैं लेकिन कोश्यारी के इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि कोश्यारी अब राज्य की सियासत में सक्रिय होंगे लेकिन उत्तराखंड का इतिहास गवाह है कि जबजब कोश्यारी राज्य की सियासत में सक्रिय हुए उन्होने तख्तापलट का ही काम किया है इसिलिए आज हमें कहना पड़ रहा है कि हरीश-हरक में वार, क्या धामी को मिलेगा कोश्यारी का साथ
उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के दंगल से पहले राज्य में अभी से सियासी घटनाक्रम तेज हो गये है। एक तरफ जहां कांग्रेस के दो बडे नेता हरक सिंह रावत और हरीश रावत हरिद्वार से ताल ठोक रहे हैं तो दूसरी ओर प्रीतम सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने से ही साफ इंकार कर दिया है। प्रीतम सिंह का आरोप है कि पार्टी ने उन्ही लोगों को जिम्मेदारी दी है जिन्होने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हराने का काम किया था….वहीं सत्ताधारी दल बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए बूथ स्तर तक पार्टी को मजबूत करने में लगी है….इन्ही तैयारियों के बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा भी मंजूर हो गया है। कोश्यारी का कहना है कि वह अध्यन्न के लिए इस्तीफा दे रहे हैं लेकिन कोश्यारी के इस्तीफे के बाद माना जा रहा है कि कोश्यारी अब राज्य की सियासत में सक्रिय होंगे वहीं जानकारों का कहना है कि कोश्यारी शांत बैठने वाले नेता नहीं है….. वहीं बीजेपी का दावा है कि कोश्यारी के अनुभव का पार्टी को काफी लाभ मिलेगा जबकि कांग्रेस कोश्यारी पर हमलावर है
अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को हरक हरीश की तैयारियों को पार्टी के हित में बता रहे हों लेकिन सबको पता है कि हरक-हरीश के बीच कितनी दूरी है हरीश रावत की सरकार को गिराने के पीछे हरक सिंह का ही हाथ था और हरक की कांग्रेस में वापसी का भी हरीश रावत ने पूरजोर विरोध किया था हांलाकि बेमन से हरीश को हरक का स्वागत करना पड़ा और अब लोकसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत और हरीश रावत एक बार फिर आमने सामने है हरक सिंह रावत ने तो खुलकर चुनाव लड़ने की ताल ठोकी है लेकिन हरीश रावत फिल्हाल कन्नी काटते हुए नजर आ रहे हैं
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदलते हुए दिखाई दे रहै हैं। सवाल ये है कि क्या भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड में ही रहकर यहां की राजनीति में शांत बैठे रहेंगे. क्या हरक हरीश की एक ही सीट से तैयारी पार्टी में किसी बड़े बवाल को जन्म दे रही है। क्या सीएम धामी को अपने राजनीति गुरू भगत सिंह कोश्यारी का साथ मिलेगा ऐसे अनगिनत सवाल है जिसके जवाब का सबको इंतजार है