उत्तराखंड में सभी आयोग, बोर्ड, परिषद या विश्वविद्यालय की और से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए सख्त कानून तैयार कर लिया है। इस विषय पर बैठक होने के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया है। सरकार ने किसे एक आयोग के बजाए प्रदेश में सभी भर्ती कराने वाली संस्थाओ के लिए ‘उत्तराखंड सरकारी सेवाओं में नकल निषेध अधिनियम 2022’ तैयार कर लिया है और बैठक में यह भी तय किया गया की परीक्षा करवाने वाली संस्थाओ और नकल माफ़ियों के लिए सजा के अलग अलग नियम होंगे। अपर सचिव कार्मिक कर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि सरकारी भर्तियों के लिए अधिनियम को लेकर हुई बैठक में न्याय विभाग और संबधित विभागों ने अपने सुझाव दे दिए हैं। पेपर लीक का कोई भी मामला नजर में आने के बाद उत्तराखंड में नकल रोधी कानून के तहत आरोपियों की आईपीसी की धारा 420,120 या हाईटेक नकल का मुकदमा दर्ज होगा।
कानून न होने पर आरोपियों की हुई जमानत
प्रदेश में नकल निषेध का कोई सख्त कानून न होने की वजह से भर्तियों में पेपर लीक के 42 आरोपियों में से 18 की जमानत हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले से ही भर्तियों का सिस्टम तैयार करने और नकल-पेपर लीक रोकने के लिए बड़ा फैसला लेने की बात कह चुके हैं।