मामला बीते सोमवार का है जब देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच, जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने सोमवार को कहा कि मानव विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं और इस सबसे लोग उनके खिलाफ काफी भड़क गए लेकिन भगवान की जाति पर टिप्पणी करने के एक दिन बाद जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने सफाई देते हुए कहा कि वह डॉ बीआर अंबेडकर ने जो कहा था उसकी व्याख्या कर रही थी
शांतिश्री धुलिपुडी पंडित जेंडर जस्टिस पर डॉ बीआर अंबेडकर के विचार विषय पर आधारित एक कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता पर बोल रहीं थीं
उन्होंने कहा, ‘मैं डॉ बीआर अंबेडकर और लैंगिक न्याय पर बोल रही थी, समान नागरिक संहिता को डिकोड कर रही थी, इसलिए मुझे विश्लेषण करना था कि उनके विचार क्या थे, इसलिए मैं उनकी किताबों में जो कहा गया था, वह मेरे विचार नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘ मैंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म ही एकमात्र धर्म और जीवन का एक तरीका है. सनातन धर्म असहमति, विविधता और अंतर को स्वीकार करता है. कोई अन्य धर्म ऐसा नहीं करता है और यह हिंदू धर्म का श्रेय है कि गौतम बुद्ध से लेकर अंबेडकर तक ऐसे महान असंतुष्टों को मनाया जाता है