जलते जंगल, कुर्सी का दंगल !

देहरादून, देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में सूर्य की बढ़ती तपिश ने लोगों की परेशानियां बढ़ा रखी है। उत्तराखंड में पारा 35 डिग्री को पार कर गया है….सूर्य की बढ़ती गर्मी से राज्य के जंगल आग से धधक रहे हैँ। बीते सोमवार को प्रदेशभर में 22 स्थानों पर जंगलों में आग लगी.. इन घटनाओं में करीब 20 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि बात करे 1 जनवरी 2023 से बीते रोज 17 अप्रैल तक की तो 178 स्थानों पर जंगलों में वनाग्नि की घटनायें दर्ज की गई हैं। जिसमें 243 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। यदि 1 जनवरी से आंकलन करें तो अबतक 7 लाख 57 हजार 3 सौ 90 रूपये की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है। वहीं इन घटनाओं में दो युवकों की मौत व एक व्यक्ति घायल भी हुआ है…..लगातार बढ़ती आग की घटनाओं ने परेशानियों को बढ़ा दिया है। वहीं दूसरी समस्या ये है कि वन विभाग के मुखिया को लेकर आपसी लड़ाई चल रही है जिसका अबतक कोई समाधान नहीं निकला है। जिससे असमंजस की स्थिति है…

गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड में वनागिनी की घटनाएं काफी बढ़ गई है। उत्तराखंड में पारा बढ़ने के साथ ही राज्य के जंगल आग से धधक रहे हैँ। बीते सोमवार को प्रदेशभर में 22 स्थानों पर जंगलों में आग लगी.. इन घटनाओं में करीब 20 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि बात करे 1 जनवरी 2023 से बीते रोज 17 अप्रैल तक की तो 178 स्थानों पर जंगलों में वनाग्नि की घटनायें दर्ज की गई हैं। जिसमें 243 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। यदि 1 जनवरी से आंकलन करें तो अबतक 7 लाख 57 हजार 3 सौ 90 रूपये की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है। वहीं इन घटनाओं में दो युवकों की मौत व एक व्यक्ति घायल भी हुआ है…..

एक तरफ जहां जंगल आग से जल रहे हैं तो दूसरी ओर वन विभाग के मुखिया को लेकर आपसी लड़ाई अधिकारियों के बीच चल रही है जिसका अबतक कोई समाधान नहीं निकला है। जिससे असमंजस की स्थिति है…आपको बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश पर विनोद सिंघल से हटाकर हेड आफ फारेस्ट फोर्स का कार्यभार भरतरी को सौंपने के आदेश बीते तीन अप्रैल को किए थे, जिसके बाद विनोद सिंघल सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए और बीते सोमवार को कोर्ट ने सिंघल को कोर्ट ने हेड आफ फारेस्ट फोर्स की जिम्मेदारी सौंपने के आदेश दे दिए। हालांकि, मंगलवार को इस संबंध में शासनादेश जारी नहीं हो सका और राजीव भरतरी कुर्सी पर बैठे रहे। लेकिन, अब वन विभाग के मुखिया को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उधर भरतरी के शासन के अधिकारियों व वन मंत्री से मुलाकात कर वीआरएस की मांग करने की भी चर्चाएं हैं। वहीं राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि अधिकारियों की खींचतान से विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं। राजीव भरतरी और विनोद सिंघल के बीच चल रहे विवाद का वे खुद संज्ञान लेंगे।

कुल मिलाकर हर साल गर्मी बढ़ने के साथ ही राज्य में वनागिनी की घटनाएं बढ़ रही है जिससे वन संपदा को तो काफी नुकसान हो ही रहा है…वहीं राज्य की जनता भी इसका खामियाजा भुगत रही है। सरकार वनागिनी को रोकने के लाख दावे तो करती है लेकिन गर्मी आते ही दावों की हवा निकल जाती है…..लेकिन इस वर्ष तो वन विभाग के मुखिया ही अपनी कुर्सी को लेकर आपस में लड़ रहे हैं ऐसे में असमंजस में अधिकारी और कर्मचारी कैसे जंगल की आग को बुझाएंगे….क्या वन मंत्री अधिकारियों की इस लड़ाई का कोई समाधान नहीं निकाल सकते हैं…क्या राज्य की वन संपदा ऐसे ही आग में जलती रहेगी

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