उत्तराखंड: जब भर्तियां हजार, सड़क पर क्यों बेरोजगार?

उत्तराखंड- देवभूमि उत्तराखंड में एक बार फिर रोजगार के मुद्दे पर बवाल शुरू हो गया है। दअरसल देहरादून में हजारो बेरोजगार युवाओं ने धामी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री आवास का कूच किया। इस दौरान पुलिस की प्रदर्शनकारियों से तीखी नोंक झोंक भी हुई। बेरोजगार युवाओँ ने सरकार से विभिन्न विभागों में खाली चल रहे पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, पुलिस कांस्टेबल और वन आरक्षी भर्ती परीक्षा में आयु सीमा बढ़ाने के साथ तमाम मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की है। वहीं बेरोजगारों के एक बार फिर सड़कों पर उतरने से विपक्ष सत्तापक्ष पर हमलावर हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा के राज में बेरोजगारों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। सरकार सिर्फ हवाई हवाई रोजगार देने के दावे कर रही है। जिसका धरातल से कोई सरोकार नहीं है। वहीं बेरोजगारों के इस आंदोलन के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 11 सरकारी विभागों में 4400 नई नौकरियों की भर्ती की घोषणा की है। इस प्रक्रिया की शुरुआत 15 सितंबर से होने जा रही है। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर बेरोजगारों को नौकरी दे रही है। मुख्यमंत्री का दावा है कि सख्त नकल विरोधी कानून बनने से नौकरियों में भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है। हांलाकि मुख्यमंत्री के इस दावे को विपक्ष ने हवा हवाई बताते हुए सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। सवाल ये है एक तरफ तो बंपर भर्ती का दावा है तो दूसरी ओर बेरोजगारों का सड़कों पर हंगामा है। 

उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं ने एक बार फिर धामी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। नाराज बेरोजगार युवाओं ने बड़ी संख्या में देहरादून में एकजुट होकर मुख्यमंत्री आवास का कूच किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों से पूछा है कि नौकरी कहां। साथ ही युवाओं ने मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी का भी आरोप लगाया है। बता दें कि बेरोजगार युवाओँ ने सरकार से विभिन्न विभागों में खाली चल रहे पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने, पुलिस कांस्टेबल और वन आरक्षी भर्ती परीक्षा में आयु सीमा बढ़ाने के साथ तमाम मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की है। वहीं बेरोजगारों के एक बार फिर सड़कों पर उतरने से विपक्ष सत्तापक्ष पर हमलावर हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा के राज में बेरोजगारों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। सरकार सिर्फ हवाई हवाई रोजगार देने के दावे कर रही है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में विभिन्न सरकारी, सहायतित और सार्वजनिक उपक्रमों में अधिकारियों और कर्मचारियों के करीब 65 हजार से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं। जिन्हें भरने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं बेरोजगारों के इस आंदोलन के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 11 सरकारी विभागों में 4400 नई नौकरियों की भर्ती की घोषणा की है। इस प्रक्रिया की शुरुआत 15 सितंबर से होने जा रही है। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर बेरोजगारों को नौकरी दे रही है। मुख्यमंत्री का दावा है कि सख्त नकल विरोधी कानून बनने से नौकरियों में भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है। हांलाकि मुख्यमंत्री के इस दावे को विपक्ष ने हवा हवाई बताते हुए सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है।

 कुल मिलाकर राज्य में एक बार फिर बेरोजगारी पर हंगामा शुरू हो गया है। विपक्ष के साथ ही अब बेरोजगार युवाओं ने सरकार की टेंशन को बढ़ा दिया है। वहीं एक ओर जहां सरकार राज्य गठन के बाद अबतक की सबसे सर्वाधिक नियुक्तियां देने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर बेरोजगार युवा रोजगार की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन करने के लिए मजबूर है सवाल ये है कि आखिर जब रिकॉर्ड नियुक्तियां सरकार ने दी है तो फिर बेरोजगार सड़कों पर उतरने के लिए क्यों मजबूर है?

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