KNEWS DESK- उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में पहले चरण में हुआ मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया है। इस बार के चुनाव में मतदाताओं में काफी उदासीनता देखने को मिली। राज्य में करीब 55.89 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया| यह आंकड़ा पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में लगभग सात प्रतिशत कम है| उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में सबसे अधिक 61.5 तो अल्मोड़ा में सबसे कम 40.87 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके साथ ही 55 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला भी ईवीएम में बंद हो गया है| इनमें भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा व वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत प्रमुख हैं।
वहीं उत्तराखंड में कम मतदान के पीछे कई वजह मानी जा रही हैं। निर्वाचन आयोग और स्टार प्रचारकों के तमाम प्रयासों के बावजूद मतदाता पिछली बार की अपेक्षा बूथों तक नहीं पहुंच सका, जिससे मतदान प्रतिशत वर्ष 2009 के आस पास ही थम गया। निर्वाचन आयोग के पिछले लोकसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें तो साल 2004 में सबसे कम 49.25 फीसदी मतदान हुआ था| इसके बाद चुनाव दर चुनाव इसमें बढ़ोत्तरी हुई। वहीं इस बार 55.89 फीसदी मतदान ने राजनीतिक दलों के साथ ही विश्लेषकों को भी चौंका दिया है| हालांकि भाजपा-कांग्रेस अभी भी जीत का दावा कर रहे हैं| एक ओर जहां भाजपा 25 लाख वोटों के अंतर से उत्तराखंड को जीतने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे सत्ता विरोधी लहर बता रही है, सवाल ये है कि आखिर क्यों मतदाता इतने प्रचार प्रसार के बाद भी अपने घरों से मतदान के लिए नहीं निकला| इसके साथ ही कम मतदान प्रतिशत के क्या मायने है इस पर भी आज हम चर्चा करेंगे पहले रिपोर्ट देखिए…
लोकसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। करीब डेढ़ महीने से चल रहे प्रचार प्रसार की वजह से उम्मीद थी कि इस बार मतदाता दोगुने उत्साह से आगे आएंगे, पर उत्तराखंड के वोटरों ने कम मतदान से सभी को चौंका दिया। चुनाव आयोग के भरपूर प्रयास के बावजूद राज्य में 55.89 ही मतदान हुआ जो बीते दो लोकसभा चुनावों के मुकाबले कम है। बता दें कि उत्तराखंड में साल 2014 में 62.15 और साल 2019 में 61.50 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदान का अंतिम आंकड़ा अभी जारी होना बाकी है। वहीं मतदान प्रतिशत कम होने के बाद अब इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर 46.94, पौड़ी गढ़वाल में 50.84, टिहरी में 52.57, नैनीताल में 61.35 व हरिद्वार सीट पर 62.36% मतदान हुआ। इसमें करीब 1.20 लाख पोस्टल बैलेट शामिल नहीं हैं। पोस्टल बैलेट प्राप्त होने के बाद अंतिम आंकड़ा जारी होगा। वहीं निर्वाचन टीमों की पूरी तरह वापसी के बाद मत प्रतिशत में अंतर आ सकता है। हालांकि भाजपा-कांग्रेस अपने अपने हिसाब से जीत का दावा कर रहे हैं| एक ओर जहां भाजपा 25 लाख वोटों के अंतर से उत्तराखंड को जीतने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे सत्ता विरोधी लहर बता रही है|
कुल मिलाकर राज्य में मतदान संपन्न होने के बाद अब हार जीत का गुणा भाग शुरू हो गया है| उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर वोटिंग खत्म होने के साथ ही मैदान में उतरे 55 प्रत्याशियों का भविष्य भी ईवीएम में कैद हो गया है। अपनी-अपनी जीत की उम्मीद में सभी उम्मीदवार अब अगले 45 दिन तक परिणाम के इंतजार में रहेंगे| देखना होगा 2024 का चुनाव किसको जीत का स्वाद चखाता है और किसको हार से सामना कराता है|