उत्तराखंड : उत्तराखण्ड विधानसभा सचिवालय में बैकडोर भर्ती का मामला फिर से खुलने लगा है। बीते वर्ष विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूडी ने जांब विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों पर जांच समिती गठित कर उसकी रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2016 के बाद की सभी बैकडोर नियुक्तियों को बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन इस मामले में इससे पूर्व की बैकडोर भर्तियों पर भी सवाल खड़े हुए थे। इस मामले में हाइकोर्ट में याचिका दायर कर इसकी जांच की मांग करी है।
हाइकोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता से ब्यौरा मांगा गया
मामले में देहरादून अभिनव थापर ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसपर बीते दिन मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई करी याचिका में कहा गया कि विधानसभा सचिवालय में राज्य गठन के बाद से ही बैकडोर से भर्तियां हुई हैं। जो संविधान के अनुच्छेद 14.16 व 187 का उल्लंघन है, जिसमें सभी नागरिकों को राज्य सरकारी पदों पर समान अवसर प्रदान करेगा। याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि सचिवालय, विधानसभा में इस प्रकार की नियुक्ति करने वालों पर भ्रष्टाचार करने वालों पर हाइकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच करा दोषियों के खिलाफ कार्यवाई कर सरकारी धन की वसूली करने की प्रार्थना करी गई है। मामले में कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता से राज्य गठन से अब तक हुई नियुक्तियों का ब्यौरा शपथपत्र के साथ कोर्ट को देने को कहा गया है।