उत्तराखंड: दायित्वों पर बवाल, खर्चों पर सवाल!

उत्तराखंड- देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में बढ़ता कर्ज और इस बढ़ते कर्ज के बीच नेताओं की आई मौज। जी हां ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है। दअरसल, धामी सरकार में बनाए गए दायित्वधारियों के मानदेय और सुविधाओं को लेकर शासन ने एक आदेश जारी किया हैं। आदेश के बाद दायित्वधारियों को अब हर महीने 45,000 रुपये मानदेय के रूप में मिलेंगे। साथ ही दायित्वधारी किराये की टैक्सी प्रयोग में लाएंगे तो उनकी बढ़ी हुई दरों से हर महीने 80 हजार रुपये का भुगतान होगा। इतना ही नहीं सरकारी आवास या फिर कार्यालय उपलब्ध न होने पर कार्यालय सह आवासीय भत्ता अधिकतम 25 हजार रुपये प्रतिमाह। सरकारी दफ्तर है तो कार्यालय भत्ता अधिकतम 10 हजार प्रतिमाह और आवास भत्ता अधिकतम 15 हजार रुपये। मोबाइल फोन का हर महीने एकमुश्त 2000 रुपये प्रतिमाह। सरकारी कर्मचारी या चपरासी न होने पर 15 हजार रुपये प्रतिमाह पर एक वैयक्तिक सहायक और 12 हजार रुपये प्रतिमाह में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रख सकेंगे। इतना ही नहीं रेल से यात्रा करने पर उच्चतम श्रेणी में एक बर्थ और वायुयान से यात्रा में एक सीट मिलेगी। एक महीने दो बार वायुयान यात्रा का भत्ता मिलेगा। यात्राओं के दौरान सर्किट हाउस या अन्य सरकारी निरीक्षण भवन में ठहरने की सुविधा भी मिलेगी। आपको बता दें कि धामी सरकार ने बीते दिनों जारी की गई सूचियों में 21 दायित्वधारी बनाए थे। जिन्हें विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों व समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सलाहकार के पद पर दायित्वधारी बनाए हैं। जिन पर धामी सरकार इस बार ज्यादा बजट खर्च करने जा रही है वहीं विपक्ष ने सरकार की ओर से दायित्वधारियों पर हो रही मेहरबानी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का तर्क है कि राज्य पर अस्सी हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है। उस पर भाजपा सरकार प्रदेश पर दायित्वधारियों का बोझ लाद रही है। राज्य के प्रत्येक नागरिक के ऊपर 65 हजार रुपए का कर्जा है और प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। फिर भी सरकार दायित्वधारियों पर दोनों हाथों से धन लुटा रही है। जो कि गलत है। सरकार को अपने फैसले पर पुनविचार करना चाहिए। सवाल ये है कि क्या सिमित आय के संसाधन वाले राज्य में दायित्वधारियों पर इतनी महरबानी क्या जायज है।

आपको बता दें कि धामी सरकार ने बीते दिनों जारी की गई सूचियों में 21 दायित्वधारी बनाए थे। जिन्हें विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों व समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सलाहकार के पद पर दायित्वधारी बनाए हैं। जिन पर धामी सरकार इस बार ज्यादा बजट खर्च करने जा रही है वहीं विपक्ष ने सरकार की ओर से दायित्वधारियों पर हो रही मेहरबानी पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का तर्क है कि राज्य पर अस्सी हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है। उस पर भाजपा सरकार प्रदेश पर दायित्वधारियों का बोझ लाद रही है। राज्य के प्रत्येक नागरिक के ऊपर 65 हजार रुपए का कर्जा है, और प्रदेश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है फिर भी सरकार दायित्वधारियों पर दोनों हाथों से धन लुटा रही है। जो कि गलत है। सरकार को अपने फैसले पर पुनविचार करना चाहिए।

कुल मिलाकर देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं उत्तराखंड राज्य के पास आय के सीमित संसाधन है और राज्य का अधिकांश बजट वेतन, भत्ते और पेंशन पर ही खर्च हो जाता है। वहीं दायित्वधारियों के लिए बढ़ाए गए वेतन, भत्ते और तमाम सुविधाओँ से राज्य पर वित्तीय बोझ और बढ़ेगा। वहीं खबर आ रही है कि अभी दायित्वधारियों की और सूची भी सरकार जारी कर सकती है ऐसे में साफ है कि राज्य में कर्ज का बोझ और बढ़ेगा।

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