उत्तराखंड- उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सशक्त भू कानून बनाए जाने की घोषणा के बाद राज्य में भू कानून के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की जनता को भरोसा दिलाते हुए सशक्त भू कानून बनाने का दावा किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन, शिक्षा, ग्रामीण विकास के नाम पर अधिग्रहित भूमि का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी और अगले विधानसभा सत्र में हम भू-कानून संशोधन विधेयक लाएंगे। वहीं मुख्यमंत्री के इस ऐलान पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री धामी पर गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन करने के साथ ही सरकार से आर्डिनेंस लाने और तत्काल जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा मूल निवास एवं भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने सशक्त भू-कानून के साथ ही मूल निवास अनिवार्य करने के लिए सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग उठाई है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर राज्य के भू कानून को कमजोर करने का भी आरोप लगाया है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार ने दिसंबर 2018 में भू कानून में संसोधन करते हुए पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया था। इस फैसले से कोई भी राज्य में कहीं भी भूमि खरीद सकता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत का तर्क है कि पहाड़ों में उद्योग चढ़े इसके लिए यह संशोधन किया गया था। हालांकि अब धामी सरकार इसमें संशोधन की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस ने सरकार से कितने उद्दोग राज्य में स्थापित हुए है इसका श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। वहीं एक ओर जहां राज्य में सशक्त भू कानून बनाकर सरकार से राज्य की जमीन को बचाने की मांग की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर मलिन बस्तियों के मुद्दे पर भी सियासत शुरू हो गई है। दरअसल, कांग्रेस मलिन बस्तियों को नियमित करने के लिए सरकार से कानून बनाने की मांग करते हुए विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। तो वहीं दूसरी और मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति सरकार से मलिन बस्तियों को नियमित ना करने की मांग कर रही है।
कुल मिलाकर राज्य में निकाय चुनाव से पहले मलिन बस्तियों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक ओर जहां सरकार अगले साल सत्र में भू कानून लाने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस तत्काल सरकार से मलिन बस्तियों के नियमितिकरण के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रही है। देखना होगा धामी सरकार इन तमाम मुद्दों पर क्या निर्णय लेती है?
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